विश्वबैंक को मौजूदा आर्थिक संकट के 2007-09 की मंदी से भी गंभीर होने की आशंका
इससे पहले IMF ने भी मौजूदा संकट को 1930 के बाद का सबसे गंभीर आर्थिक संकट माना है।
नई दिल्ली। विश्वबैंक ने कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्पन्न आर्थिक संकट के बारे में शुक्रवार को कहा कि आकलनों से इसके 2007-09 की आर्थिक मंदी से गंभीर होने की आशंकाएं प्रतीत हो रही हैं। विश्वबैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ सालाना ग्रीष्मकालीन बैठक के दौरान कहा कि कोरोना वायरस के कारण सामने आये आर्थिक संकट को पूरी दुनिया में महसूस किया जा रहा है, लेकिन गरीब देशों तथा वहां के लोगों पर इसका अधिक असर देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय विकास संघ से सहायता के पात्र देशों में दुनिया की सर्वाधिक गरीब आबादी का दो-तिहाई हिस्सा रहता है। इनके ऊपर इस संकट का सर्वाधिक असर होगा।
आईडीए विश्वबैंक का एक हिस्सा है और यह गरीब देशों की मदद करता है। विश्वबैंक के अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी का स्वास्थ्य एवं चिकित्सा पर पड़ने वाले असर के अतिरिक्त हम वृहद वैश्विक आर्थिक मंदी का अनुमान लगा रहे हैं। उत्पादन, निवेश, रोजगार और व्यापार में गिरावट को देखते हुए हमारे आकलन से लगता है कि यह 2007-09 की आर्थिक मंदी से भयानक होगा।
इससे पहले आईएमएफ भी यह आशंका व्यक्त कर चुका है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण जो आर्थिक संकट उत्पन्न हो रहा है, यह 1930 के दशक की महान आर्थिक मंदी के बाद का सबसे गंभीर वैश्विक आर्थिक संकट हो सकता है।