नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने उन लोगों के लिए भविष्य निधि निकासी जैसे दावों के निपटान के लिए सार्वभौमिक खाता संख्या (यूएएन) देने की जरूरत के प्रावधान में ढील दी है जिन्होंने एक जनवरी 2014 से पहले सदस्यता छोड़ दी थी। ईपीएफओ ने पिछले साल दिसंबर में दावे के लिए आवेदनों पर यूएएन उपलब्ध कराने को अनिवार्य कर दिया।
जिनके पास नहीं यूएएन उनको होगी आसानी
एक अधिकारी ने कहा, जिन सदस्यों को यूएएन आबंटित नहीं किए गए, उन्हें दावे के निपटान के लिए होने वाली कठिनाइयों को देखते हुए नियमों में ढील देने का फैसला किया गया है। उसने कहा, यूएएन शुरू में उन सभी सदस्यों को आबंटित किए गए जो जनवरी से जून 2014 तक अंशधारक थे। यह उन सदस्यों को राहत देने के लिए किया गया है जिनकी नौकरी एक जनवरी 2014 से पहले समाप्त हो गई। दावा फार्म पर यूएएन का उल्लेख अनिवार्य करने का मकसद किसी प्रकार की गड़बड़ी को रोकना है। चूंकि यूएएन, आधार, बैंक खाता आदि से जुड़ा है, अत: यह वैध दावाकर्ता को बिना किसी बाधा के राशि प्राप्त करने में मदद करता है।
ईपीएफओ के ईटीएफ में निवेश बढ़ाने को लेकर मतभेद
ईपीएफओ के एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) के जरिए शेयर बाजार में निवेश बढ़ाने को लेकर श्रम मंत्रालय और केंद्रीय ट्रेड यूनियन आमने-सामने आ गए हैं। ईपीएफओ के निर्णय लेने वाला शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की हुई बैठक में यूनियनों ने श्रम मंत्रालय के ईटीएफ में निवेश मौजूदा 5.0 फीसदी से बढ़ाने के कदम को लेकर गंभीर आपत्ति जताई। ईपीएफओ ने पिछले अगस्त में ईटीएफ में निवेश शुरू किया था। ईटीएफ के बारे में श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा, हमने सीबीटी को रिपोर्ट दी है। इस रिपोर्ट में अबतक 7.45 प्रतिशत रिटर्न अबतक आया है। हमने 7,000 करोड़ रुपए निवेश किया था।
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