नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की पीएफ योजना में अक्टूबर में शुद्ध रूप से 11.55 लाख नये लोग पंजीकृत हुए। यह पिछले वर्ष इसी माह की 7.39 लाख शुद्ध नयी प्रविष्टियों से 56 प्रतिशत अधिक है। ये आंकड़े निजी क्षेत्र में नौकरियों की स्थिति का संकेत देते हैं। शुद्ध बढ़त का मतलब है कि नए पंजीकृत लोगों की संख्या नौकरी छोड़ने वालों की संख्या से अधिक रही है। अक्टूबर में बढ़त के बावजूद आंकड़े सितंबर के मुकाबले कम रहे हैं। श्रम मंत्रालय के बयान के मुताबिक अक्टूबर की शुद्ध नयी प्रविष्टियां इस साल सितंबर के 14.9 लाख के आंकड़े से कम रही हैं। श्रम मंत्रालय के रविवार को जारी संशोधित आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष अप्रैल में ईपीएफओ में पंजीकृत लोगों की संख्या शुद्ध रूप से 1,79,685 घटी थी। नवंबर में जारी आंकड़ों में अप्रैल की गिरावट 1,49,248 बतायी गयी थी। इन आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019-20 में ईपीएफओ के अंशधारकों की संख्या में शुद्ध रूप से 78.58 लाख की वृद्धि हुई थी। इसी तरह सितंबर 2017 से अक्टूबर 2020 तक नए अंशधारकों की संख्या में शुद्ध रूप से 1.94 करोड़ की वृद्धि दिखी ।
श्रम मंत्रालय के अनुसार इस वर्ष अक्टूबर में ईपीएफओ के 7.15 लाख नए सदस्य बने और इसके साथ 6.80 लाख सदस्य सदस्यता छोड़ने के बाद इसमें फिर से शामिल हुए। इस दौरान 2.40 लाख अंशधारक ईपीएफओ से अलग हुए। इस तरह शुद्ध प्रविष्टियां 11.55 लाख रहीं। इससे यह भी जाहिर होता है कि कोराना वायरस महामारी के गंभीर दौर और कड़ी सार्वजनिक पाबंदियों के समय में नौकरी से निकाले गए बहुत से लोग काम पर फिर लौट रहे हैं। ईपीएफओ नौकरियों के आंकड़े अप्रैल 2018 से हर महीने जारी कर रहा है। आंकड़ों की माने तो अक्टूबर के दौरान नौकरी देने में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात और हरियाणा आगे रहे हैं। वहीं सबसे ज्यादा हिस्सेदारी 18 से 25 आयुवर्ग के लोगों की रही है।
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