नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा शनिवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक उसके पास शुद्ध नए पंजीकरण की संख्या दिसंबर में 24 प्रतिशत बढ़कर 12.54 लाख हो गई। इन आंकड़ों से कोविड-19 महामारी के बीच औपचारिक क्षेत्र में रोजगार की स्थिति का पता चलता है। श्रम मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ईपीएफओ के अनंतिम वेतन आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2020 में शुद्ध आधार पर 12.54 लाख खाताधारक बढ़े, जो एक सकारात्मक संकेत है। बयान में कहा गया कि वर्ष दर वर्ष आधार पर वेतन के आंकड़े दिसंबर में 24 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्शाते हैं। खाताधारकों में बढ़ोतरी का यह आंकड़ा कोविड-पूर्व के स्तर के समान है। यह बढ़ोतरी नवंबर 2020 के मुकाबले 44 प्रतिशत अधिक है।
आंकड़ों के मुताबिक कोविड-19 महामारी के बावजूद ईपीएफओ ने चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों के दौरान लगभग 53.70 लाख खाताधारकों को जोड़ा। दिसंबर 2020 के आंकड़ों के पता चलता है कि लगभग 8.04 लाख नए सदस्य ईपीएफओ के दायरे में आए, जबकि मोटे तौर पर 4.5 लाख सदस्य बाहर निकले और फिर ईपीएफओ के दायरे में आ गए। यानी उन्होंने नौकरी बदली और फंड स्थानांतरण करके सदस्यता बरकरार रखने का विकल्प चुना।
मंत्रालय ने कहा कि सदस्यों की संख्या में बढ़ोतरी से पता चलता है कि भारत में कोविड-19 के सक्रिय मामलों में कमी आने के साथ ही लोग अपनी नौकरी पर वापस लौट रहे हैं। इसके अलावा ईपीएफओ द्वारा शुरू की गई स्वत: हस्तांतरण सुविधा ने कई मामलों में सदस्यता की निरंतरता सुनिश्चित की। उम्र के अनुसार आंकड़ों की बात करें तो दिसंबर 2020 में 22 से 25 वर्ष उम्र वर्ग में लगभग 3.36 लाख शुद्ध नामांकन हुए। इसके बाद 18 से 21 वर्ष उम्र वर्ग का स्थान रहा, जिनके लगभग 2.81 लाख शुद्ध नामांकन हुए। आंकड़ों के अनुसार 18-25 आयु वर्ग ने दिसंबर 2020 में कुल नए खाताधारकों में लगभग 49.19 प्रतिशत योगदान दिया। आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक रोजगार देने के मामले में अग्रणी रहे।
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