मुंबई। राष्ट्रीय एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया के सूत्रों का कहना है कि कंपनी की मूर्त व अमूर्त आस्तियां कंपनी के ऊपर 52,000 करोड़ रुपए से अधिक कर्ज को चुकाने के लिए पर्याप्त हैं। सरकार को कंपनी की किसी तरह की मजबूरन बिक्री से बचना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि घाटे में चल रही एयर इंडिया के निजीकरण की बात एक बार फिर जोरशोर से चल रही है। नागर विमानन मंत्रालय इस कंपनी के पुनरोद्धार के लिए सभी संभावित विकल्पों पर विचार कर रहा है। एक अनुमान के अनुसार कंपनी पर 52,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है। इसी को इसकी बिक्री पर जोर देने की बड़ी वजह माना जा रहा है।
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सबसे ज्यादा हैं परिसंपत्तियां
सूत्रों ने कहा, एयर इंडिया के पास जितनी परिसंपत्तियां हैं उतनी परिसंपत्ति देश में किसी और एयरलाइन के पास नहीं है। कंपनी के 52,000 करोड़ रुपए के कुल ऋण को पूरा करने के लिए उसके पास काफी संपत्तियां हैं। वर्ष 2007 में इंडियन एयरलाइंस का विलय एयर इंडिया में कर दिया गया था।
40,000 करोड़ रुपए है कंपनी का मूल्यांकन
वर्ष 2007 में कपंनी का जो मूल्यांकन हुआ था उसके आधार पर विमानन कंपनी का सकल मूल्य लगभग 40,000 करोड़ रुपए का है। सूत्रों का कहना है कि कंपनी का मौजूदा बाजार मूल्य 40,000 करोड़ रुपए से कहीं अधिक होगा। हालांकि आस्तियों के मूल्य ह्रास को देखते हुए यह मूल्य कम से कम लगभग 27,000 करोड़ रुपए हो सकता है। इन अनुमानों में एयर इंडिया की अनुषंगियों व अन्य कारोबारियों गतिविधियों को शामिल नहीं किया गया है।
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