नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) के प्रमुखों के साथ कोविड-19 महामारी और अन्य संबंधित मुद्दों के कारण बढ़ते दबाव को लेकर चर्चा की। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम के जैन और एम राजेश्वर राव ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए लघु वित्त बैंकों के प्रबंध निदेशकों और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ गोलमेज चर्चा की। रिजर्व बैंक की एक विज्ञप्ति के अनुसार, चर्चा एसएफबी के व्यापार मॉडल के विकास सहित कई मुद्दों पर केंद्रित थी।
इन मुद्दों में बोर्ड की निगरानी और व्यावसायिकता बढ़ाना; आश्वासन कार्यों, अनुपालन में और सुधार; आंतरिक नियंत्रण और जोखिम प्रबंधन; तथा ग्राहकों के बेहतर अनुभव और साइबर सुरक्षा की मजबूती के लिए अनूकूल आईटी बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल थे। रिजर्व बैंक ने साथ ही शुक्रवार को भारत से नेपाल के बीच व्यापारिक लेनदेन और इलेक्ट्रनिक तरीके से दोनों देशों के व्यक्ति से व्यक्ति के बीच लेनदेन को बढ़ावा देने के लिये प्रति लेनदेन धन प्रेषण की सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दी।
इस फैसले से पड़ोसी देश में बसे पूर्व सैनिकों को सेवानिवृत्ति और पेंशन से संबंधित भुगतान की सुविधा में मदद मिलेगी। इसके अलावा, केंद्रीय बैंक ने प्रति प्रेषक एक वर्ष में 12 प्रेषण की सीमा को भी हटा दिया। हालांकि, रिजर्व बैंक ने एक सर्कुलर में कहा, "अब तक की तरह, बैंक में सीधे आने वाले ग्राहकों या गैर-ग्राहकों से नकदी के रूप में जो प्रेषण स्वीकार करेंगे ऐसे प्रेषणों के लिए एक वर्ष में अधिकतम 12 प्रेषण के साथ 50,000 रुपये प्रति प्रेषण की सीमा बनी रहेगी।" इसमें कहा गया है कि इस तरह के 50 हजार रुपये तक के लेनदेन के लिये शुल्क फरवरी 2009 के सर्कुलर के मुताबिक ही रहेंगे जबकि 50,000 रुपये से अधिक के लेनदेन के लिये स्टेट बैंक द्वारा बताये गये शुल्क लागू होंगे।
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