नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ईईएसएल (EESL) ने उन्नत ज्योति बाई एफोर्डेबल एलईडी फॉर ऑल (उजाला) योजना के लिए एलईडी बल्ब की खरीद में अनियमितता के आरोपों से इनकार किया और इसे झूठा, गुमराह करने वाला और तथ्यों से परे बताया।
बिजली मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कुछ अखबारों में छपे आरोपों का जवाब देते हुए ऊर्जा दक्षता सेवा लि. (ईईएसएल) ने दावों को खारिज किया। इसे झूठा, गुमराह करने वाला और तथ्यों से परे बताया। ईईएसएल बिजली मंत्रालय के अधीन आता है।
ईईएसएल ने कहा कि एलईडी बल्बों की खरीद उसने सर्वाधिक पारदर्शी और पेशेवर तरीके से की। उसने कहा, उजाला योजना के तहत अबतक 22 करोड़ एलईडी बल्ब बेचे गए। इससे उपभोक्ताओं के बिजली में 11,500 करोड़ रुपए की बचत हुई।
कांग्रेस के प्रेस विज्ञप्ति जारी कर एलईडी की निविदा प्रक्रिया में अनियमितता, चीनी एलईडी बल्बों का आयात कर मेक इन इंडिया नीति और सतर्कता नियमों का उल्लंघन एवं 20,000 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप के बाद ईईएसएल का जवाब आया है।
मंत्रालय के बयान के अनुसार ईईएसएल द्वारा संचालित राष्ट्रीय एलईडी कार्यक्रम से सभी पक्षों को मदद मिली है। ईईएसएल बिजली मंत्रालय की चार कंपनियों एनटीपीसी, पीजीसीआईएल, आरईसी और पीएफसी की संयुक्त उद्यम है।
कंपनी राष्ट्रीय एलईडी लाइटिंग कार्यक्रम का क्रियान्वयन कर रही है जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री ने पांच जनवरी 2015 को किया। कार्यक्रम का मकसद लाइटिंग क्षेत्र में उर्जा की खपत को कम करना तथा एलईडी आधारित लाइटिंग उत्पादों को बढ़ावा देना है।
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