अगस्त में खाद्य तेलों का आयात 22 प्रतिशत घटकर 10.16 लाख टन, कीमतों में उछाल का असर
तेल वर्ष 2020-21 के पहले 10 महीनों के दौरान खाद्य तेल का आयात पिछले वर्ष की इसी अवधि में 1.09 करोड़ टन से गिरकर 1.03 करोड़ टन रह गया।
नई दिल्ली। भारत का खाद्य तेल आयात अगस्त में 22 प्रतिशत घटकर 10,16,370 टन रह गया। आयात घटने का मुख्य कारण इस साल जून-जुलाई में हुए अधिक स्टॉक के बचे अधिशेष स्टॉक के साथ-साथ खाद्यतेलों की खुदरा कीमतों में उछाल के कारण उपभोक्ता मांग का कम होना था। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने एक बयान में कहा कि अखाद्य तेल का आयात भी अगस्त में घटकर 37,440 टन रह गया, जो पिछले साल इसी महीने में 62,052 टन का हुआ था।
अगस्त, 2021 के दौरान वनस्पति तेलों (खाद्य और अखाद्य तेलों) का आयात 10,53,810 टन रहा, जो पिछले साल इसी महीने में 13,70,457 टन था, जो 23 प्रतिशत की गिरावट को दर्शाता है। एसईए के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा, ‘‘जून और जुलाई में अधिक आयात के कारण अगस्त में आयात में गिरावट आई है। अतिरिक्त स्टॉक की खपत हो गई है। इसके अलावा खाद्य तेलों की ऊंची कीमतों के कारण मांग में कमी आई है।’’ अक्टूबर को समाप्त होने वाले तेल विपणन वर्ष 2020-21 के पहले 10 महीनों के दौरान खाद्य तेल का आयात पिछले वर्ष की इसी अवधि में 1.09 करोड़ टन से गिरकर 1.03 करोड़ टन रह गया। अखाद्य तेल का आयात 2,89,631 टन से बढ़कर 3,21,929 टन हो गया। नवंबर, 2020 से अगस्त, 2021 के दौरान वनस्पति तेलों (खाद्य और अखाद्य तेल दोनों शामिल) का कुल आयात 1,07,08,446 टन रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 1,11,95,890 टन के कुल आयात से चार प्रतिशत कम है।
तेल वर्ष नवंबर से अक्टूबर तक चलता है। एसईए ने बताया कि सरकार ने 11 सितंबर से सीपीओ (कच्चा पाम तेल), आरबीडी पामोलिन और आरबीडी पाम तेल के साथ-साथ कच्चे और रिफाइंड सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क में 5.5 प्रतिशत की कमी की है। कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर प्रभावी आयात शुल्क (मूल सीमा शुल्क और अन्य करों सहित) को 30.25 प्रतिशत से घटाकर 24.75 प्रतिशत कर दिया गया है। रिफाइंड पामोलिन, रिफाइंड पामतेल, रिफाइंड सोयाबीन तेल और रिफाइंड सूरजमुखी पर प्रभावी शुल्क 41.25 प्रतिशत से घटाकर 35.75 प्रतिशत कर दिया गया है। भारत ने अगस्त में 12,000 टन रैपसीड तेल का आयात किया और अगले 3 से 4 महीनों के दौरान सरसों के तेल की कमी को पूरा करने के लिए और अधिक आयात खेप के आने की उम्मीद है। इंडोनेशिया और मलेशिया भारत को कच्चे पाम तेल के प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं।
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