नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निदेशक मंडल के सदस्य एस गुरुमूर्ति ने गुरुवार को कहा कि यदि नवंबर, 2016 में नोटबंदी नहीं की गई होती, तो अर्थव्यवस्था ढह जाती। उन्होंने कहा कि 500 और 1,000 रुपए के नोटों का इस्तेमाल रीयल एस्टेट तथा सोने की खरीद में किया जाता था।
गुरुमूर्ति ने विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन में व्याख्यान में कहा कि नोटबंदी से 18 माह पहले 500 और 1,000 रुपए के नोट 4.8 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गए। रीयल एस्टेट और सोने की खरीद में इन नोटों का इस्तेमाल किया जाता था। यदि नोटबंदी नहीं होती तो हमारा हाल भी 2008 के सब प्राइम ऋण संकट जैसा हो जाता। गुरुमूर्ति ने कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ होता तो भारतीय अर्थव्यवस्था ढह जाती। यह एक सुधारात्मक उपाय था।
रिजर्व बैंक के आरक्षित भंडारण के नियम में हो बदलाव
19 नवंबर को आरबीआई बोर्ड की होने वाली अहम बैठक से पहले केंद्रीय बैंक के स्वतंत्र निदेशक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक एस गुरुमूर्ति ने रिज़र्व बैंक के आरक्षित भंडारण के नियम में बदलाव की वकालत की है। उन्होंने कहा कि आरबीआई के पास 9.6 करोड़ रुपए आरक्षित भंडार है और दुनिया के किसी भी केंद्रीय बैंक के पास इतना आरक्षित भंडारण नहीं है।
कुछ महीने पहले ही आरबीआई बोर्ड के निदेशक नियुक्त किए गए गुरुमूर्ति ने कहा कि भारत में निर्धारित पूंजी पर्याप्तता अनुपात एक प्रतिशत है जो बेसेल के वैश्विक नियम से ज्यादा है। उन्होंने छोटे एवं मंझोले उद्योगों के लिए कर्ज नियमों को आसान बनाने की भी वकालत की, जो देश की जीडीपी का 50 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि जहां तक मेरी समझ है सरकार एक नीति बनाने के लिए कह रही है कि केंद्रीय बैंक के पास कितना आरक्षित भंडार होना चाहिए। अधिकतर केंद्रीय बैंकों के पास इतना आरक्षित भंडार नहीं होता है जिनता आरबीआई के पास है।
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