भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर आठ फीसदी से अधिक रहेगी: अरविंद पनगढि़या
नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढि़या ने बुधवार को कहा कि अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष के दौरान आठ फीसदी से अधिक वृद्धि दर्ज करेगी।
जयपुर। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर से उत्साहित नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढि़या ने बुधवार को कहा कि अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष के दौरान आठ फीसदी से अधिक वृद्धि दर्ज करेगी। पनगढि़या ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान जीडीपी की वृद्धि दर करीब 7.2 फीसदी रही और 2015-16 में इसके आठ फीसदी के स्तर को पार कर जाने की उम्मीद है।
विनिर्माण में तेजी की मदद से जुलाई से सितंबर के दौरान देश की जीडीपी की वृद्धि दर 7.4 फीसदी रही और यह सबसे अधिक वृद्धि दर्ज करने वाली अर्थव्यवस्था रही। उन्होंने यहां मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2003-14 में औसतन 8.3 फीसदी रही और 2014-15 में यह 7.3 फीसदी थी। नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि अब तक सिर्फ चार प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं- सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, ताइवान और चीन- ही लंबे समय तक 8-10 फीसदी की वृद्धि दर दर्ज करने में कामयाब रहे हैं।
पनगढि़या ने इस बात पर जोर दिया कि कृषि और सेवा जैसे क्षेत्रों में वृद्धि दर बढ़ाने की जरूरत है। पनगढि़या ने आर्थिक वृद्धि तेज करने के संबंध में वस्तुओं के निर्यात में वृद्धि, विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्रों में सुधार, कृषि क्षेत्र पर निर्भर मजदूरों को उद्योग एवं सेवा क्षेत्र में अवसर देने, गरीबी खत्म करने के लिए बेहतर मजदूरी और तेज शहरीकरण जैसे पांच महत्वपूर्ण तत्वों की भूमिका का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि नीति आयोग की भूमिका सहयोगकर्ता की है। योजना आयोग को खत्म कर नीति आयोग बनाने का अच्छा नतीजा निकला है और इसकी नीतियां सही दिशा में हैं।
कृषि क्षेत्र के संबंध में उन्होंने कहा, 2011-12 के आंकड़ों के मुताबिक रोजगार में कृषि क्षेत्र की भागीदारी 39 फीसदी है, जबकि जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी मात्र 15 फीसदी है। उन्होंने कहा कृषि क्षेत्र का सबसे अच्छा प्रदर्शन 1980 के दशक में रहा जबकि 10 साल से अधिक अवधि तक इसने 4.7 फीसदी की दर से वृद्धि दर्ज की और उद्योग एवं सेवा क्षेत्र ने पिछले दशक में ज्यादा तेज (8-10 फीसदी) वृद्धि दर्ज की। पनगढि़या ने कहा इसलिए भविष्य में जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी घटेगी ही और कोई तेज वृद्धि दर्ज करने वाली अर्थव्यवस्था इस रुझान को बदल नहीं सकी है।