5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य पाने में लग सकता है कुछ अधिक समय: सान्याल
प्रधान आर्थिक सलाहकार के मुताबिक महामारी से आगे और कोई बड़ा नुकसान न हो और इसी रफ्तार से टीकाकरण जारी रहे, तो अगले तीन-चार महीनों में अर्थव्यवस्था में वृद्धि के साफ रुझान देखने को मिलेंगे
नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय के प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 संकट के झटकों के बाद देश की अर्थव्यवस्था तेज सुधार की राह पर है और पहली तिमाही की वृद्धि सकारात्मक रहने की उम्मीद है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि घरेलू अर्थव्यवस्था को बढ़ाकर 5 लाख करोड़ डॉलर के स्तर पर पहुंचाने में वर्ष 2024-25 की लक्षित समय-सीमा से एकाध साल अधिक लग सकता है। सान्याल ने इंदौर में मीडिया के एक सवाल पर कहा, "बेशक थोड़ी उथल-पुथल तो रहेगी। हमने देश को 2024-25 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य तय किया था। इसे हासिल करने में एकाध साल अतिरिक्त लग सकता है। लेकिन (कोविड-19 संकट के चलते) अर्थव्यवस्था को लगे झटकों को देखते हुए यह अतिरिक्त समय कुछ भी नहीं है।"
उन्होंने कहा कि महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप घटने के बाद देश की अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार शुरू हो गया है और अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर सकारात्मक रहने की उम्मीद है।
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के एक कार्यक्रम में शामिल होने आए सान्याल ने कहा, "अगर देश में महामारी की (आशंकित) तीसरी लहर से बड़ा नुकसान नहीं हो और इसी रफ्तार से टीकाकरण जारी रहे, तो अगले तीन-चार महीनों में आपको अर्थव्यवस्था में वृद्धि के साफ रुझान देखने को मिलेंगे।" पेट्रोल-डीजल की बढ़ती महंगाई के कारण इन ईंधनों को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाए जाने की मांग फिर जोर पकड़ रही है। इस बारे में पूछे जाने पर प्रधान आर्थिक सलाहकार ने कहा, "वैसे यह सवाल मुझसे नहीं, बल्कि जीएसटी परिषद से पूछा जाना चाहिए। लेकिन मेरा मत है कि फिलहाल यह विषय चर्चा का नहीं है क्योंकि जीएसटी प्रणाली को अगले कुछ समय तक स्थिर रखा जाना चाहिए।" उन्होंने कहा कि महंगाई को सरकार गंभीरता से ले रही है। लेकिन महंगाई पर नियंत्रण के बारे में सोच-समझकर कदम उठाए जाने की जरूरत है क्योंकि महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप घटने के बाद देश में आर्थिक गतिविधियों का पटरी पर आना अभी शुरू ही हुआ है।
सान्याल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियां भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर को लेकर अपने अनुमान को कम-ज्यादा करती रहती हैं। लेकिन इस बारे में सरकार के रुख में जरा भी बदलाव नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, "बजट में हमारा अनुमान था कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वास्तविक वृद्धि दर 10.5 प्रतिशत रहेगी।" प्रधान आर्थिक सलाहकार ने कहा कि देश में आर्थिक गतिविधियां रफ्तार पकड़ रही हैं और अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर को लेकर की जाने वाली "भविष्यवाणियों" पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए।
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