नई दिल्ली। मंगलवार को आरबीआई के एक लेख में कहा गया है कि मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी में धीरे-धीरे तेजी दर्ज होने और सर्विस सेक्टर में गिरावट के कम होने से अर्थव्यवस्था में तेजी आ रही है। यह देखते हुए कि कोरोनोवायरस महामारी की दूसरी लहर का असर सीमित रहा है, भारतीय रिजर्व बैंक ने 'अर्थव्यवस्था की स्थिति' पर एक लेख में कहा कि अर्थव्यवस्था को अनलॉक करने के बाद से मांग में वृद्धि हुई है, जबकि मानसून के अपने सामान्य स्तर पर पहुंचने और बुवाई गतिविधियों में तेजी आने के साथ आपूर्ति में सुधार के संकेत हैं।
आरबीआई के लेख में कहा गया है कि राज्यों द्वारा प्रतिबंधों को सावधानीपूर्वक हटाने के साथ, लोगों की गतिविधियां एक बार फिर उस जगह पर पहुंच गई हैं जहां वो दूसरी लहर के शुरू होने से पहले फरवरी 2021 में दर्ज की गई थी, यानि अर्थव्यवस्था दूसरी लहर के झटके से बाहर निकल आई है। इस लेख को आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा की अगुवाई वाली टीम ने लिखा है। हालांकि केन्द्रीय बैंक ने साफ किया है कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और जरूरी नहीं कि वे भारतीय रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व करते हों। वहीं आर्टिकल में कहा गया है कि पिछले चार महीनों में ई-वे बिल संग्रह जून 2021 में पिछले माह के मुकाबले 17.3 प्रतिशत की वृद्धि के साथ अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। ई-वे बिल भले ही वो इंट्रा ,स्टेट हों या इंटर स्टेट महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच चुके हैं। इसके साथ ही टोल संग्रह में भी बढ़त देखने को मिली है।
लेख के अनुसार, जुलाई 2021 में ईंधन की खपत में वृद्धि दर्ज की गई। जबकि पेट्रोल की खपत पूर्व-महामारी के स्तर पर पहुंच गई और विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ) ने पिछले माह के मुकाबले सुधार दर्ज किया गया है, हालांकि डीजल की खपत में गिरावट दर्ज हुई, लेकिन वो मामूली रही। इसके साथ ही महंगाई दर में भी राहत हैं जिससे संकेत मिले हैं कि हाल में आई तेजी छोटी अवधि की थी जो कि अब गुजर चुकी है।
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