नई दिल्ली। आर्थिक समीक्षा के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर रिजव बैंक के पांच प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे रहने की संभावना है। नोटबंदी के चलते कीमतों में किसी तरह की तेजी की संभावनाओं पर ब्रेक लगेगा। संसद में मंगलवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2016-17 में यह अनुमान लगाया गया है।
आर्थिक समीक्षा 2016-17 में कहा गया है कि मौद्रिक नीति समिति के महंगाई दर संबंधी लक्ष्यों और व्यापक आर्थिक स्थिरता से भारत को कीमतों पर नियंत्रण को लेकर अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिलेगी।
वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा संसद में पेश इस समीक्षा के अनुसार-उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक के पांच प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे रहने का अनुमान है। नोटबंदी इस क्रम में मददगार साबित हो सकती है।
- मौजूदा वित्त वर्ष में अब तक खुदरा महंगाई दर लगभग 5 प्रतिशत पर स्थिर रही है जबकि थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर अप्रैल दिसंबर के दौरान औसतन लगभग 2.9 प्रतिशत रही है।
- सर्वेक्षण में यह भी रेखांकित किया गया है कि महंगाई दर खाद्य उत्पादों के एक छोटे समूह द्वारा आगे बढ रही है जिसमें दालें देश में खाद्य महंगाई दर प्रमुख भागीदार है।
राज्यों के बीच श्रमिकों की आवाजाही तेज हुई: समीक्षा
- आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि पूर्व के अनुमानों की तुलना में श्रमिकों की आवाजाही उल्लेखनीय रूप से ऊंची रही है।
- 2011-16 के दौरान राज्यों के बीच श्रमिकों का औसत प्रवाह 90 लाख श्रमिकों का रहा है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में आर्थिक समीक्षा 2016-17 को पेश किया। इसमें कहा गया है कि पूर्व के अनुमानों की तुलना में श्रमिकों की अंतर राज्यीय आवाजाही तेज रही है। दस्तावेज में कहा गया है कि यह विश्लेषण नए आंकड़ा स्त्रों और तरीकों के आधार पर किया गया है।
- इससे पता चलता है कि श्रमिकों को एक राज्य से दूसरे राज्य को प्रवास बढ़ रहा है।
- विशेषरूप से महिला श्रमिकों के मामले में ऐसा देखने को मिल रहा है।
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