नई दिल्ली। मोर्गनस्टेनली की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी के असर के खत्म होने के बीच उपभोक्ता मांग बहाल होने से अप्रैल-जून तिमाही से भारतीय अर्थव्यवस्था के तेजी पकड़ने की संभावना है। इस वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता के अनुसार इस समय बाहरी मांग में सुधार एक अहम कारक है क्योंकि घेरलू मांग की प्रवृति अब भी मिश्रित है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल बाहरी मांग का समर्थन मिलते रहने की संभावना है क्योंकि उभरते और विकसित बाजारों में मांग बढ़ रही है। आरबीआई के मौद्रिक नीति रुख पर रिपोर्ट में कहा गया है कि तरलता प्रबंधन के और उपायों की संभावना है और केंद्रीय बैंक कैलेंडर वर्ष 2018 की दूसरी छमाही में दरें बढ़ा सकता है।
बैंक रिण मांग 7-8 प्रतिशत बढ़ेगी
एक रिपोर्ट के अनुसार मजबूत ऋण बाजार से मौजूदा वित्त वर्ष में कुल ऋण मांग वृद्धि 12 प्रतिशत रहने का अनुमान है, हालांकि इस दौरान बैंक ऋण में केवल 7-8 प्रतिशत बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने यह अनुमान लगाया है। एजेंसी ने एक रिपोर्ट में कहा है कि कॉरपोरेट बांड मांग में 20-22 प्रतिशत वृद्धि से ऋण मांग ऊंची रहेगी। वित्त वर्ष 2017 में कॉरपोरेट बांड मांग में 20.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। इसके अनुसार, मार्च 2017 तक बड़े उद्योगों व सेवा क्षेत्र को बैंकिंग प्रणाली के ऋणों में बांड व वाणिज्यिक पत्रों का हिस्सा बढ़कर 46.6 प्रतिशत हो गया, जो कि मार्च 2016 को 41.9 प्रतिशत था। रिपोर्ट के अनुसार बांड बाजारों में बेहतर मूल्य के सतत रुख के चलते ऐसा हुआ।
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