कोरोना की दूसरी लहर का असर सीमित, अर्थव्यवस्था में दिख रहा सुधार: वित्त मंत्रालय
वित्त मंत्रालय की समीक्षा के अनुसार मई की दूसरे पखवाड़े से आर्थिक रिकवरी के स्पष्ट संकेत हैं, दूसरी लहर के बाद म्यूचुअल फंड, कॉरपोरेट बांड और बीमा बाजारों में रिकवरी देखने को मिली है।
नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर का आर्थिक प्रभाव हल्का रहने की संभावना है और अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। वित्त मंत्रालय की जारी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा कि कर संग्रह में मजबूत सुधार से राजकोषीय स्थिति को अर्थव्यवस्था को पूरा बजटीय समर्थन देने की दिशा में मदद मिलेगी। इसमें यह भी कहा गया है कि हाल के सीरो सर्वे के परिणाम यह संकेत देते हैं कि यदि देश टीकाकरण कार्यक्रम की गति को बनाए रखता है, तो यह कोविड-19 से गंभीर बीमारी की आशंका को कम कर सकता है। मंत्रालय ने रिपोर्ट में कहा, ‘‘विभिन्न अध्ययनों के अनुसार एंटीबॉडी बनने से गंभीर बीमारियों की आशंका कम हो जाती है। अत: बीमारी की गंभीरता के संदर्भ में महामारी की आने वाली लहरें हल्की होने की उम्मीद है।’’ हालांकि, यह जरूरी है कि कोविड बचाव के लिये हम जो कदम उठा रहे हैं, उसे जारी रखा जाए।
रिपोर्ट के अनुसार इस समय अर्थव्यवस्था और समाज महत्वपूण मोड़ पर है जहाँ आर्थिक पुनरूद्धार, टीकाकरण प्रगति और कोविड-19 से बचाव के उपाय तथा व्यवहार की रणनीतियों को एक दूसरे के साथ बेहतर तालमेल रखने की आवश्यकता है। इसमें कहा गया है कि देश के अधिकतर हिस्सों में दूसरी लहर का प्रभाव कम होने के साथ राज्य सरकारें चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंध हटा रही हैं। इसके साथ मई की दूसरे पखवाड़े से आर्थिक रिकवरी के स्पष्ट संकेत हैं। ‘‘यह बताता है कि दूसरी लहर का आर्थिक प्रभाव हल्का रहने की उम्मीद है।’’ रिपोर्ट के अनुसार मुद्रास्फीति मई और जून में छह प्रतिशत के दायरे से ऊपर रही। हालांकि, पाबंदियों में ढील, दक्षिण पश्चिम मानसून की प्रगति और हाल में दलहन तथा तिलहन के मामले में आपूर्ति में सुधार से जुड़े नीतिगत हस्तक्षेप से आने वाले महीनों में महंगाई को लेकर दबाव धीमी पड़ने की उम्मीद है। इसमें कहा गया है कि जुलाई महीने में बैंकों में नकदी की स्थिति बेहतर बनी रही, नकदी के चलन की वृद्धि में गिरावट महामारी के कारण एहतियाती बचत की स्थिति में बदलाव को प्रतिबिंबित करता है।
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय बाजारों में जुलाई के दौरान मजबूत स्थिति दिखी। दूसरी लहर के बाद म्यूचुअल फंड, कॉरपोरेट बांड और बीमा बाजारों में रिकवरी देखने को मिली। शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव लगातार कम हो रहा है। हालांकि, मुद्रास्फीति दबाव के कारण सरकारी प्रतिभूतियों के प्रतिफल के मामले में मामूली गिरावट आयी। मंत्रालय ने कहा कि बैंक ऋण में वृद्धि उत्साहजनक है। लगातार नौ पखवाड़ों तक नरम रहने के बाद 16 जुलाई को समाप्त पखवाड़े में गैर-खाद्य कर्ज वृद्धि 6.5 प्रतिशत रही। रिपोर्ट के अनुसार क्षेत्रीय मोर्चे पर, कृषि और संबद्ध गतिविधियों, सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों द्वारा ऋण लेने के मामले में जून में त्वरित वृद्धि दर्ज की गयी। यह आत्मनिर्भर भारत पैकेज के क्रियान्वयन के सकारात्मक प्रभावों को दर्शाता है।
यह भी पढ़ें: अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत, 1-7 अगस्त के बीच निर्यात 50 प्रतिशत बढ़ा
यह भी पढ़ें: महिंद्रा एंड महिंद्रा ने वापस मंगाये अपने 29 हजार वाहन, जानिये क्या है वजह