नई दिल्ली। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने उन छोटी कंपनियों के लिए शेयर बाजार से बाहर निकलना आसान हो गया है, जिनके शेयरों में खरीद-फरोख्त बहुत कम होती है। सेबी ने इन कंपनियों के लिए डीलिस्टिंग नियमों में ढील दी है। अब जिन लघु सूचीबद्ध कंपनियों के इक्विटी का पिछले 12 महीनों में कोराबार कुल शेयर का 10 फीसदी से कम है, वे शेयर बाजारों से डीलिस्ट हो सकते हैं।
फिलहाल सेबी नियमों के तहत केवल उन्हीं कंपनियों को डीलिस्ट की अनुमति है, जिनके शेयरों का कारोबार पिछले एक साल से नहीं हुआ है। ऐसी करीब 1,000 छोटी कंपनियां हैं, जहां कारोबार कई साल से न के बराबर है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इस संबंध में नवंबर में नियमों को मंजूरी दी थी। अधिसूचना में सेबी ने कहा कि मान्यता प्राप्त शेयर बाजारों में जिन लघु सूचीबद्ध कंपनियों के इक्विटी का पिछले 12 महीनों में कोराबार कुल शेयर का 10 फीसदी से कम है, वे आसान प्रक्रिया के जरिये शेयर बाजारों से डीलिस्ट हो सकते हैं।
आईटी कंपनियों की मदद से निगरानी प्रणाली होगी दुरुस्त
सेबी अतिरिक्त संसाधनों के साथ अपनी बाजार निगरानी प्रणाली को दुरुस्त करने की योजना बना रहा है। इसके लिए नियामक पात्र एवं अनुभवी कार्यबल उपलब्ध कराने को लेकर आईटी कंपनी की सेवा लेने पर विचार कर रहा है। सेबी आईटी सेवा प्रदाता के साथ तीन साल के लिए अनुबंध करेगा, जिसे बाद में छह साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। सेबी की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के अनुसार नियामक ने अपनी आईएमएसएस (समन्वित बाजार निगरानी प्रणाली) नेटवर्क पर नेटवर्क निगरानी केंद्र के जरिये नजर रखने के लिए आईटी सेवा प्रदाता की सेवा लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह केंद्र सातों दिन 24 घंटे काम करेगा।
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