मुकेश अंबानी की कंपनी के लिए 1.2 अरब डॉलर का धनशोधन करने के तीन आरोपी हुए बरी, नीदरलैंड में किया गया था गिरफ्तार
यह मामला मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज के नियंत्रण वाली एक कंपनी से जुड़ा बताया जा रहा है, जिसने भारत में गैस पाइपलाइन परियोजना का निर्माण किया है।
नई दिल्ली। नीदरलैंड के एक न्यायाधीश ने वहां की स्थानीय कंपनी के उन तीन पूर्व कर्मचारियों को रिहा कर दिया, जिन्हें भारत के रिलायंस उद्योग समूह की कंपनी के साथ कथित कारोबार में सेवाओं की ऊंची दर पर बिल बनाकर 1.2 अरब डॉलर का धन शोधन करने का संदेह होने के चलते गिरफ्तार किया गया था।
नीदरलैंड के अखबार कोबोव की खबर के अनुसार इन तीनों को शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया था और तीन दिन बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। यह मामला मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज के नियंत्रण वाली एक कंपनी से जुड़ा बताया जा रहा है, जिसने भारत में गैस पाइपलाइन परियोजना का निर्माण किया है। हालांकि रिलायंस ने इन सभी आरोपों का खंडन किया है।
अखबार की रिपोर्ट में तीनों संदिग्धों के वकीलों के हवाले से कहा गया है कि न्यायाधीश ने निर्णय किया है कि पूछताछ के लिए इन्हें हिरासत में रखने की जरूरत नहीं है। ईस्ट वेस्ट पाइपलाइन लिमिटेड (ईडब्ल्यूपीएल) ने भी परियोजना के क्रियान्वयन के किसी भी चरण में किसी भी तरह के धनशोधन से इंकार किया है। ईडब्ल्यूपीएल को पहले रिलायंस गैस ट्रांसपोर्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (आरजीटीआईएल) के नाम से जाना जाता था।
वहीं रिलायंस इंडस्ट्री का भी कहना है कि 2006 में उसने ना तो कोई पाइपलाइन कंपनी स्थापित की थी और न ही उसने नीदरलैंड की किसी कंपनी को कोई ठेका दिया था। नीदरलैंड की राजकोषीय आसूचना अन्वेषण सर्विस और आर्थिक अन्वेषण सर्विस (एफआईओडी-ईसीडी) ने एक स्थानीय पाइपलाइन कंपनी ए. हाक के तीन पूर्व कर्मचारियों को गिरफ्तार किया। इन लोगों पर आरोप है कि आरजीटीआईएल के लिए किए गए काम के ठेकों में ऊंचा बिल दिखाकर कथित रूप से अनुमानित 1.2 अरब डॉलर का लाभ कमाया और इस राशि को सिंगापुर की कंपनी बायोमेट्रिक्स मार्केटिंग लिमिटेड को भेजा गया।
सिंगापुर की इस कंपनी के कथित तौर पर रिलायंस इंडस्ट्रीज से जुड़े होने का दावा किया जा रहा है। समाचार एजेंसी एएफपी की एक रिपोर्ट में नीदरलैंड के लोक अभियोजक के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान का हवाला देते हुए कहा गया है कि स्थानीय कंपनी फर्जी बिल बनाने वाली फर्म की तरह काम कर रही थी और उसकी मदद से भारतीय कंपनी को गैस ग्राहकों से कथित तौर पर दोगुना लागत वसूल करने में मदद मिली।
इस कथित धांधली से की गई कमाई को दुबई, स्विट्जरलैंड तथा कैरेबियाई देशों के रास्ते जटिल लेन-देन के नेटवर्क के माध्यम से सिंगापुर की कंपनी तक पहुंचाया गया। आरोप है कि इस काम के लिए संदिग्ध व्यक्तियों को 1 करोड़ अमेरिकी डॉलर प्राप्त हुए थे। एएफपी के मुताबिक इस धांधली में नीदरलैंड की कई कंपनियों के संलिप्त होने का संदेह है।
ईडब्ल्यूपीएल ने कहा है कि यह गैसलाइन एक निजी कंपनी ने बनाई है। इसमें पैसा कंपनी के प्रवर्तकों का लगा है। इसमें कोई सार्वजनिक धन नहीं लगाया गया है और बैंकों और वित्तीय संस्थाओं का कर्ज लौटा दिया गया है।
गौरतलब है कि पिछले महीने ही ब्रुकफील्ड के नेतृत्व वाले कनाडा के निवेशक इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट (इनविट) ने घाटे में चल रही ईडब्ल्यूपीएल को 13,000 करोड़ रुपए में खरीदने की सहमति जताई है। ईडब्ल्यूपीएल, देश के पूर्वी तट पर स्थित रिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी-डी6 गैस क्षेत्र से गैस को पश्चिम में गुजरात के ग्राहकों तक पहुंचाने का काम करती है।