लॉकडाउन के कारण 38% स्टार्टअप के पास फंड नहीं, 4% ने कारोबार बंद किया: सर्वे
स्टार्टअप के मुताबिक पिछले 2 महीने में आय 80 से 90 फीसदी तक गिरी
नई दिल्ली। कोरोना संकट स्टार्टअप के लिए अब तक के सबसे बड़ी मुश्किल बन कर सामने आया है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक लॉकडाउन के कारण कारोबार बंद रहने से 38 प्रतिशत स्टार्टअप के पास फंड खत्म हो गया है और 30 प्रतिशत के पास 1-3 महीने की ही नकदी बची है। लोकलसर्किल के एक सर्वेक्षण के मुताबिक 16 प्रतिशत ऐसी संस्थाओं ने कहा कि उनके पास 3-6 महीने की नकदी बची है।
इस सर्वेक्षण में 8,400 से अधिक स्टार्टअप, एसएमई और उद्यमों के 28,000 से अधिक प्रतिभागियों ने अपनी राय दी। सर्वेक्षण में 12 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनके पास एक महीने से भी कम समय की नकदी बची है। लोकलसर्किल की रिपोर्ट में कहा गया है कि चार फीसदी ने कहा कि लॉकडाउन के कारण वे पहले ही कारोबार बंद कर चुके हैं। लोकलसर्किल ने अपनी रिपोर्ट में कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए लागू किए गए लॉकडाउन का भारत के स्टार्टअप और एमएमई पर असर का आकलन किया है। रिपोर्ट के मुताबिक कई व्यवसायों की आय में पिछले दो महीनों के दौरान 80-90 प्रतिशत से अधिक की कमी हुई, जिसके बाद उनके लिए व्यवसाय चालू रखना मुश्किल हो गया है। ये संगठन व्यवसाय को बचाए रखने के लिए विपणन और मानव संसाधन लागत में कटौती कर रहे हैं।
सर्वेक्षण में 35 प्रतिशत ने उम्मीद जताई कि अगले छह महीनों में कारोबार बढ़ेगा, जबकि इतने ही लोगों ने कारोबार में और कमी की आशंका जताई। लगभग 14 फीसदी लोगों ने आशंका जताई कि उनका कारोबार बंद हो जाएगा, जबकि 16 फीसदी भविष्य को लेकर काफी अनिश्चित थे। यह पूछने पर कि क्या वे सरकार द्वारा घोषित प्रोत्साहन पैकेज से फायदा मिलने की उम्मीद करते हैं, केवल 14 प्रतिशत ने ‘हां’ कहा, जबकि 57 प्रतिशत ने कहा ‘नहीं’ और शेष 29 प्रतिशत इस बारे में अनिश्चित थे। तकनीकी कारणों से अधिकांश स्टार्टअप मान रहे हैं कि उन्हे सरकार के आत्मनिर्भर भारत पैकेज का फायदा नहीं मिलेगा। दरअसल अधिकांश स्टार्टअप बैंकों से कर्ज लेने की जगह वेंचर कैपिटल फंडिंग का चुनाव करते हैं, जिससे वो तकनीकी रूप से पैकेज का फायदा नहीं उठा सकेंगे।