नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी से संबंधित प्रोटोकॉल के चलते इस साल बजट का दस्तावेजों में प्रकाशन नहीं होगा। इस बार सांसदों को आर्थिक समीक्षा और बजट इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में ही उपलब्ध कराये जायेंगे। यह पहली बार है, जब देश में बजट का दस्तावेजी तौर पर प्रकाशन नहीं किया जायेगा। स्वतंत्र भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को पेश किया गया था। सूत्रों ने कहा कि कोविड-19 के कारण वित्त वर्ष 2021-22 के आम बजट का कागजों पर प्रकाशन नहीं करने का निर्णय लिया गया है। सभी सांसदों को बजट दस्तावेज तथा आर्थिक समीक्षा इलेक्ट्रॉनिक रूप में दी जायेगी।
दस्तावेजों की छपाई के लिये बजट की प्रस्तुति से कुछ सप्ताह पहले वित्त मंत्रालय के बेसमेंट के प्रिंटिंग प्रेस में कर्मचारियों को बंद होना पड़ता है। अभी तक हर साल बजट दस्तावेजों की छपाई हलवा समारोह के साथ शुरू होती रही है और सभी कर्मचारी बजट के पेश होने के बाद ही बाहर आते रहे हैं। आजादी के बाद यह पहली बार होगा, जब कोरोना जोखिम के चलते सांसदों को कागजों पर प्रकाशित बजट नहीं मिलेगा। इस बार का बजट ऐसे समय पेश हो रहा है जब आजादी के बाद पहली बार देश की अर्थव्यवस्था में 7.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज होने का अनुमान है। ऐसे में हर किसी को बजट से बहुत उम्मीदें हैं। यह बजट महामारी से तबाह अर्थव्यवस्था को सहारा दे सकता है और आर्थिक वृद्धि को गति प्रदान कर सकता है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी पिछले महीने कहा था कि इस बार ऐसा बजट पेश किया जायेगा, जैसा अभी तक नहीं देखा गया। सीतारमण ने कहा था, ‘‘मुझे अपने सुझाव भेजिये, ताकि ऐसा बजट तैयार किया जा सके, जो आज तक नहीं हुआ। भारत के 100 साल में ऐसा बजट कभी पेश नहीं हुआ होगा। लेकिन यह तब तक संभव नहीं है, जब तक कि मुझे आपके सुझाव नहीं मिलें। आप यह बतायें कि आप किन चुनौतियों से जूझे। इसके बिना यह मेरे लिये असंभव होगा कि महामारी के आलोक में तैयार हो रहे बजट को ऐसा बजट बना सकूं, जो पहले कभी नहीं देखा गया।’’ वित्त वर्ष 2021-22 का बजट संसद में एक फरवरी को पेश होने वाला है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का आठवां बजट होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह तीसरा पूर्ण बजट होगा।
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