DRDO ने घरेलू उद्योगों के उत्पादन के लिये 108 सैन्य प्रणाली की पहचान की
रक्षा मंत्री ने घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के इरादे से दो सप्ताह पहले ही चरणबद्ध तरीके से 2024 तक 101 सैन्य प्रणाली और हथियारों के आयात पर पाबंदी लगाने की घोषणा की थी। इन प्रणालियों और हथियारों में ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर, परंपरागत पनडुब्बी और क्रूज मिसाइल शामिल हैं।
नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने घरेलू उद्योग के लिये डिजाइन, विकास और विनिर्माण को लेकर नैविगेशन रडार, टैंक ट्रांसपोर्टर, फ्लोटिंग पुल समेत 108 सैन्य प्रणाली और उप-प्रणाली को चिन्हित किया है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि डीआरडीओ के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने उत्पादों की सूची रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंपी है। मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा कि डीआरडीओ अपनी आवश्यकता के आधार पर इन प्रणालियों के डिजाइन, विकास और परीक्षण के लिए उद्योग को सहायता भी उपलब्ध कराएगा। यह कदम सरकार के रक्षा क्षेत्र में आत्म निर्भर होने के लक्ष्य के अनुरूप है। डीआरडीओ ने प्रणाली और उप-प्रणाली के विकास के लिये अगले साल का लक्ष्य रखा है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठानों, सैन्य बलों और अन्य सुरक्षा एजेंसियों द्वारा इन प्रणालियों से जुड़ी सभी आवश्यकताएं उपयुक्त भारतीय उपक्रम के साथ विकास अनुबंध या उत्पादन ऑर्डर के माध्यम से पूरी की जा सकती हैं। इससे डीआरडीओ को महत्वपूर्ण और आधुनिक प्रौद्योगिकियों तथा प्रणालियों के डिजाइन और विकास पर ध्यान केन्द्रित करने में सहायता मिलेगी।’’
उल्लेखनीय है कि रक्षा मंत्री ने घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के इरादे से दो सप्ताह पहले ही चरणबद्ध तरीके से 2024 तक 101 सैन्य प्रणाली और हथियारों के आयात पर पाबंदी लगाने की घोषणा की थी। इन प्रणालियों और हथियारों में ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर, परंपरागत पनडुब्बी और क्रूज मिसाइल शामिल हैं। इस घोषणा के बाद रक्षा मंत्रालय ने घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिये कदम उठाने शुरू किये हैं। मंत्रालय ने रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में अगले पांच साल में 25 अरब डॉलर (1.75 लाख करोड़ रुपये) के कारोबार का लक्ष्य रखा है। इसमें 5 अरब डॉलर (35,000 करोड़ रुपये) मूल्य का सैन्य हार्डवेयर का निर्यात शामिल हैं। मंत्रालय ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के आह्वान के साथ रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने स्वदेशी रक्षा विनिर्माण को मजबूती देने के लिए कई पहल की हैं।’’ बयान के अनुसार डीआरडीओ के लिए वर्तमान में उद्योग आधार में रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम, आयुध कारखानों और बड़े उद्योगों के साथ 1,800 एमएसएमई शामिल हैं। मंत्रालय ने कहा, ‘‘ डीआरडीओ पहले ही विकास सह उत्पादन भागीदारों (डीसीपीपी) के रूप में भारतीय उद्योग को जोड़ने के लिए विभिन्न नीतियों के माध्यम से कई पहल कर चुका है। साथ ही उद्योग को मामूली लागत पर तकनीक की पेशकश कर रहा है और अपने पेटेंट के लिए मुफ्त पहुंच उपलब्ध करा रहा है।’’ इस पहल से तेजी से उभरते घरेलू रक्षा औद्योगिक परिवेश को समर्थन मिलेगा और उद्योग को बड़े स्तर पर ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में योगदान करने में सहायता मिलेगी। डीआरडीओ ने जिन प्रणालियों और उप-प्रणालियों की सूची सौंपी हैं, उनमें नैविगेशन रडार, टैंक ट्रांसपोर्टर और मिसाइल कनस्तर के अलावा छोटे और सूक्ष्म आकार के यूएवी (ड्रोन), माउंटेन फुटब्रिज, मोड्यूलर ब्रिज, फ्लोटिंग ब्रिज आदि शामिल हैं।