नई दिल्ली। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ऑटोमैटिक रूट से रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में 74 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की मंजूरी के लिये जल्दी ही केंद्रीय मंत्रिमंडल से संपर्क करेगा। इस पहल का मकसद क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को आकर्षित करना है। सूत्रों ने कहा कि डीपीआईआईटी ने रक्षा मंत्रालय के साथ मामले पर चर्चा की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मई में कोरोना वायरस संकट से प्रभावित अर्थव्यवस्था को राहत देने के लिये 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा के दौरान ऑटोमैटिक रूट से रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में 74 प्रतिशत तक एफडीआई की मंजूरी देने की घोषणा की थी। मौजूदा एफडीआई नीति के तहत रक्षा उद्योग में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की मंजूरी है। इसमें 49 प्रतिशत ऑटोमैटिक रूट से जबकि उसके ऊपर सरकार की मंजूरी की जरूरत होती है।
सरकार ने जुलाई 2018 में रक्षा क्षेत्र में एफडीआई नियमों को उदार बनाते हुए 49 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की स्वत: स्वीकृत मार्ग से मंजूरी दी थी। डीपीआईआईटी के आंकड़े के अनुसार देश के रक्षा उद्योग ने अप्रैल 2000 से मार्च 2020 के दौरान 95.2 लाख डॉलर (56.88 करोड़ रुपये) का एफडीआई प्राप्त किया। देश में कुल एफडीआई 2019-20 में 18 प्रतिशत बढ़कर 73.45 अरब डॉलर रहा।
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