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Hindi News पैसा बिज़नेस दूरसंचार विभाग ने गेल, ऑयल इंडिया से 2.3 लाख करोड़ रुपये की मांग का नोटिस वापस लिया

दूरसंचार विभाग ने गेल, ऑयल इंडिया से 2.3 लाख करोड़ रुपये की मांग का नोटिस वापस लिया

HC ने पिछले महीने गैर-दूरसंचार कंपनियों से AGR मामले में बकाया की मांग करना अनुचित करार दिया था

<p class="MsoNormal" style="background: white;"><span...- India TV Paisa Image Source : GOOGLE Dot withdraws demand notices on GAIL and OIL

नई दिल्ली। दूरसंचार विभाग ने सार्वजनिक क्षेत्र की गैस कंपनी गेल इंडिया लि.और तेल कंपनी ऑयल इंडिया लि.(ओआईएल) को दूरसंचार बकाये के रूप में दिया गया 2.3 लाख करोड़ रुपये की मांग का नोटिस वापस ले लिया है। दोनों कंपनियों ने शेयर बाजार को दी सूचना में यह जानकारी दी है। उच्चतम न्यायालय के 24 अक्टूबर 2019 के आदेश के बाद दूरसंचार विभाग ने गेल से 1.83 लाख करोड़ रुपये और आयल इंडिया से 48,489 करोड़ रुपये की मांग की थी। आदेश में सांविधिक बकाये के आकलन में दूरसंचार कंपनियों के लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम शुल्क जैसे गैर-दूरसंचार राजस्व को शामिल करने को कहा गया था। न्यायालय ने पिछले महीने कहा कि गैर-दूरसंचार कंपनियों से समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) मामले में बकाया की मांग करना ‘पूरी तरह से अनुचित’ है।

शीर्ष अदालत ने दूरसंचार विभाग (डीओटी) से इस प्रकार की मांग पर पुनर्विचार करने को कहा और अब डीओटी ने उसे वापस ले लिया है। गेल ने कहा कि उसे 14 जुलाई का दूरसंचार विभाग का पत्र मिला है जिसमें कंपनी को जारी सभी मांग नोटिस को वापस लेने की बात कही गयी है। कंपनी ने कहा, ‘‘दावा वापस लेने के बाद गेल के ऊपर दूरसंचार विभाग का एजीआर मामले में कुछ भी बकाया नहीं है।’’’ आयल इंडिया लिमिटेड (आयल) ने अलग सूचना में कहा कि उसे 13 जुलाई को डीओटी का पत्र मिला। पत्र में 2007-08 से 2018-19 के दौरान 48,489.26 करोड़ रुपये की मांग को लेकर जारी नोटिस वापस लेने की बात कही गयी है। इससे पहले, बुधवार को पावरग्रिड कॉरपोरेशन ने भी शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि दूरसंचार विभाग ने कंपनी को वित्त वर्ष 2006-07 से 2018-19 की अवधि के लिये लाइसेंस शुल्क की मांग को लेकर दिये गये अस्थायी नोटिस को वापस ले लिया है। कंपनी के पास ‘नेशनल लांग डिस्टेंस’ (एनएलडी) और इंटरनेट सेवा प्रदाता (आईएसपी) लाइसेंस है। पावरग्रिड के अनुसार दूरसंचार विभाग ने वित्त वर्ष 2006-07 से 2018-19 की अवधि के लिये लाइसेंस शुल्क के रूप में 13,613.66 करोड़ रुपये की मांग की थी।

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