AGR dues: दूरसंचार विभाग अभी भी एजीआर बकाये की अंतिम गणना पर कर रहा काम
दूरसंचार विभाग अभी भी दूरसंचार कंपनियों पर समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के बकाये की अंतिम गणना में लगा हुआ है।
नयी दिल्ली। दूरसंचार विभाग अभी भी दूरसंचार कंपनियों पर समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के बकाये की अंतिम गणना में लगा हुआ है। विभाग को उसके अलग अलग क्षेत्रीय कार्यालयों में अपनाई गई लेखा प्रक्रिया में भिन्नता का पता चला है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है। दूरसंचार विभाग के लाइसेंस वित्त इकाई ने तीन फरवरी को अपने सभी दूरसंचार लेखा महानियंत्रकों को दिशानिर्देशों के साथ पत्र जारी किया था। इसमें उनसे कंपनियों के एजीआर बकाये खाते का फिर से मिलान करने को कहा गया था। उनसे कहा गया था कि आपरेटरों को अपील करने और अंतिम भुगतान में कटौती से जुड़े दस्तावेज सौंपने के लिये 15 दिन का समय दिया जाना चाहिये।
सूत्रों ने बताया कि उसका यह पत्र दूरसंचार विभाग के चार दिसंबर को भेजे गये पत्र को ही आगे बढ़ाता है। इसके बाद 13 दिसंबर को भी लाइसेंस वित्त इकाई ने पत्र भेजा था जिसमें क्षेत्रीय कार्यालयों को डेबिट वाउचर रिपोर्ट्स (डीवीआर) जांच की पड़ताल करने को कहा गया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ऐसा देखा गया है कि क्षेत्रीय कार्यालयों के लेखा में एकरूपता नहीं है। ऐसे में उच्चतम न्यायालय के आदेश को देखते हुये दूरसंचार विभाग ने उनसे डेबिट वाउचर रिपोर्ट्स के मामले में जल्द से जल्द फिर से पुष्टि करने को कहा है।
दूरसंचार विभाग द्वारा तैयार आंकड़ों के मुताबिक एयरटेल पर लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के तौर पर करीब 35,586 करोड़ रुपए का बकाया है। वोडाफोन आइडिया पर 53,000 करोड़ रुपए का बकाया है। इसमें 24,729 करोड़ रुपए स्पेक्टूम बकाया और 28,309 करोड़ रुपए लाइसेंस फीस का बकाया है। टाटा टेलिसविर्सिज पर 13,800 करोड़ रुपए और बीएसएनएल पर 4,989 करोड़ रुपए तथा एमटीएनएल पर 3,122 करोड़ रुपए का बकाया है।
उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक कंपनियों के लिये एजीआर बकाये का भुगतान करने की अंतिम तिथि 23 जनवरी 2020 है जबकि दूरसंचार विभाग अपने क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ 2006-07 से लेकर दस साल तक के डीवीआर की पुष्टि करने को कहा है। इसके बाद 2017- 18 और 2018- 19 का भी वैद्यीकरण होना है। दूरसंचार विभाग ने 13 दिसंबर 2019 को अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को वैद्यीकरण के लिये 15 दिन का समय दिया था लेकिन समान दिशा-निर्देशों के अभाव में यह काम पूरा नहीं हो सका।