नयी दिल्ली: दूरसंचार विभाग ने आने वाले महीनों में 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए आधार तैयार करने को लेकर ट्राई से विभिन्न बैंड में मूल्य निर्धारण, मात्रा और रेडियो तरंगों से संबंधित अन्य तौर-तरीकों पर सिफारिशें मांगी हैं। इस साल मार्च में हुई स्पेक्ट्रम नीलामी के अंतिम दौर में 855.6 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के लिए 77,800 करोड़ रुपये से अधिक की बोली लगायी गयी थी। इस बारे में पूछे जाने पर, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के सचिव वी रघुनंदन ने इस बात की पुष्टि की कि ट्राई को दूरसंचार विभाग (डीओटी) से 5जी स्पेक्ट्रम पर संदेश प्राप्त हुआ है, लेकिन उन्होंने इसके बारे में पूरी जानकारी देने से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि नियामक वर्तमान में डीओटी के संदेश की समीक्षा कर रहा है। यह संदेश विभन्न बैंड के संबंध में है और ट्राई जरूरत पड़ने पर और जानकारी मांगेगा। रघुनंदन ने खुली चर्चा (नियामक द्वारा अपनाया जाने वाले एक मानक तरीका) और विचारों को अंतिम रूप देने सहित पूरी परामर्श प्रक्रिया के समापन के लिए संभावित समयसीमा के बारे में पूछे जाने पर कहा, "हम उम्मीदों पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करेंगे।"
सूत्रों के अनुसार डीओटी के संदेश में कई बैंड में स्पेक्ट्रम के लिए आधार मूल्य, मात्रा और अन्य तौर-तरीकों पर ट्राई के विचार मांगे गए हैं। इनमें 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज, 2500 मेगाहर्ट्ज बैंड के साथ-साथ 3,300-3,600 मेगाहर्ट्ज बैंड (जिन्हें अंतिम दौर में नीलामी के लिए नहीं रखा गया था) और मिलीमीटर-वेभ बैंड (अर्थात 24.25-28.5 गीगाहर्ट्ज) शामिल हैं।
सूत्रों ने कहा कि आरक्षित मूल्य, ब्लॉक आकार, बैंड योजना और नीलामी के लिए स्पेक्ट्रम की मात्रा पर सिफारिशें मांगी गयी हैं। उन्होंने बताया कि संदेश पिछले हफ्ते की शुरुआत में मिला था। गौरतलब है कि दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में कहा था कि 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी "संभवत:" फरवरी 20 में होगी, और सरकार जनवरी की समयसीमा के लिए भी कोशिश कर सकती है।
स्पेक्ट्रम की ऊंची कीमतों से जुड़ी उद्योग की चिंता को लेकर मंत्री ने कहा था, "ट्राई परामर्श कर रहा है ट्राई का परामर्श पूरा होने दें और उन्हें अपनी अंतिम रिपोर्ट देने दें। मेरे कुछ कहने के लिहाज से वही सही समय होगा।" स्पेक्ट्रम की ऊंची कीमत दूरसंचार उद्योग के लिए लंबे समय से शिकायत का विषय रही हैं और प्रमुख कंपनियों ने बार-बार इस मुद्दे को उठाया है।
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