नई दिल्ली : शुक्रवार को जिस आदेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया था वो आदेश बिना दूरसंचार मंत्री की सहमति के जारी हुआ था। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक इस आदेश पर न तो दूरसंचार मंत्री और न ही सचिव की सहमति मिली थी। दूरसंचार विभाग ने सांविधिक बकाये के भुगतान में चूक करने वाली कंपनियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई न करने का आदेश 23 जनवरी को जारी किया था जिस पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। जिसके बाद इस आदेश को वापस ले लिया गया।
सूत्रों की माने तो सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया है और जो भी दोषी पाये जाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है। मामले से जुड़े एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि दूरसंचार विभाग ने 23 जनवरी का जो आदेश दिया था, वह दूरसंचार मंत्री और दूरसंचार सचिव की मंजूरी के बिना दिया गया। इससे पहले, दूरसंचार विभाग ने वैधानिक बकाया समय पर नहीं लौटाने को लेकर दूरसंचार कंपनियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने को लेकर जारी आदेश वापस ले लिया। साथ ही उच्चतम न्यायालय के अक्टूबर में दिये गये निर्णय के अनुपालन को लेकर तत्काल जरूरी कार्रवाई करने को कहा है। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अपने आदेश के अनुपालन नहीं होने को लेकर कड़ा रुख अपनाया जिसके बाद विभाग ने यह कदम उठाया।
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