अगले साल अगस्त तक पूरी हो जाएगी 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी, दूरसंचार विभाग ने जताई उम्मीद
सरकार को उम्मीद है कि 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी अगले साल अगस्त तक पूरी हो जाएगी और पांचवीं पीढ़ी की मोबाइल सेवा 2020 तक शुरू हो सकेगी।
नई दिल्ली। सरकार को उम्मीद है कि 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी अगले साल अगस्त तक पूरी हो जाएगी और पांचवीं पीढ़ी की मोबाइल सेवा 2020 तक शुरू हो सकेगी। दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन ने सोमवार को यह बात कही। सुंदरराजन ने यहां राज्यों और संघ शासित प्रदेशों की कार्यशाला के मौके पर संवाददाताओं से अलग से बातचीत में कहा कि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने शुरुआती सिफारिशें का सेट दिया है और दूरसंचार विभाग की कार्य समिति इस पर गौर कर रही है।
कार्यबल को व्यापक स्पेक्ट्रम बैंड का सेट दिया है, जिसपर हमें काम करना है। हर कोई कह रहा है कि पारिस्थितिकी तंत्र तैयार नहीं है, अगले साल जुलाई-अगस्त के बाद 5जी तैयार होगा। दूरंसचार उद्योग में वित्तीय संकट के बीच देश की सबसे बड़ी दूरसंचार ऑपरेटर वोडाफोन आइडिया ने दूरसंचार विभाग से 2020 तक स्पेक्ट्रम नीलामी नहीं करने को कहा है। कंपनी का कहना है कि स्पेक्ट्रम की जरूरत तभी होगी जबकि 5जी पारिस्थितिकी तंत्र तैयार हो जाएगा।
सुंदरराजन ने कहा कि हम जुलाई-अगस्त तक उचित प्रक्रिया को पूरा कर लेंगे। मैं यह नहीं कह सकती कि उस समय तक स्पेक्ट्रम नीलामी पूरी हो जाएगी, लेकिन 2020 की दूसरी छमाही में हम तैयार होंगे। जब हम 2020 कहते हैं तो इसका मतलब पूरे देश से नहीं है। लेकिन उस समय तक देश में 5जी शुरू हो जाएगा। फील्ड परीक्षण चल रहा है।
ट्राई ने रविवार को 8,644 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम की 4.9 लाख करोड़ रुपए के आधार मूल्य पर बिक्री की सिफारिश की है। इसमें 5जी सेवाओं के लिए भी स्पेक्ट्रम शामिल है। दूरसंचार मंत्रालय की 5जी पर समिति ने कहा है कि करीब 6,000 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम अगली पीढ़ी की मोबाइल सेवाओं के लिए बिना विलंब उपलब्ध कराया जाएगा।
समिति ने 5जी सेवाओं के लिए 11 बैंड की पहचान की है। इनमें से चार बैंड प्रीमियम 700 मेगाहर्ट्ज, 3.5 गीगाहर्ट्ज (जीएचजेड), 24 जीएचजेड और 28 जीएचजेड सेवा के लिए तत्काल उपलब्ध कराया जा सकता है। सुंदरराजन ने राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति (एनडीसीपी) के क्रियान्वयन पर कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि देश में 5जी सेवाएं शुरू होने से अर्थव्यवस्था पर करीब 1,000 अरब डॉलर का प्रभाव पड़ेगा।