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Hindi News पैसा बिज़नेस आप 'पुलवामा की पेंसिल' के बारे में जानते हैं? पीएम मोदी ने 'मन की बात' में दी जानकारी

आप 'पुलवामा की पेंसिल' के बारे में जानते हैं? पीएम मोदी ने 'मन की बात' में दी जानकारी

बच्चे हों या बड़े, हम सभी लिखने के लिए पेंसिल का उपयोग करते हैं। लेकिन क्या आपको 'पुलवामा की पेंसिल' के बारे में पता है?

<p>Pulwama ki Pencil</p>- India TV Paisa Image Source : FILE Pulwama ki Pencil

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में बताया कि देश में 90 प्रतिशत से अधिक पेंसिलों में प्रयोग होने वाली लकड़ी अकेले जम्मू—कश्मीर पुलवामा जिले से जाती है। प्रधानमंत्री ने बताया कि अपनी इसी खूबी के चलते जम्मू कश्मीर का पु​लवामा न सिर्फ आत्मनिर्भर हो रहा है। वहीं देश को शिक्षित भी बना रहा है। 

प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि कश्मीर घाटी पूरे देश में 90 प्रतिशत पेंसिल की लकड़ी की मांग को पूरा कर रही है। एक समय हम विदेशों से पेंसिल की लकड़ी मंगवाते थे। लेकिन अब पुलवामा देश की 90 प्रतिशत मांग को पूरा कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि चिनार की लकड़ी में हाई मॉइश्चर और सॉफ्टनेस होती है। जिसके चलते पेंसिल निर्माण में इसका प्रयोग सबसे ज्यादा होता है। 

पेंसिल विलेज है उक्खू

प्रधानमंत्री ने बताया कि कश्मीर से देश विदेश जाने वाली 80 प्रतिशत लकड़ी सिर्फ पुलवामा जिले से जारी है। यहां का उक्खू देश विदेश में पेंसिल विलेज के नाम से जाना जाता है। यहां पर पेंसिल स्लेट निर्माण की एक दर्जन से ज्यादा यूनिट हैं। ये फैक्ट्रियां लोगों को रोजगार भी प्रदान कर रही हैं। खासबात यह है कि यहां ज्यादातर महिला श्रमिक काम करती हैं।

सुनाई मंजूर की कहानी

प्रधानमंत्री ने मन की बात में एक स्थानीय कारोबारी मंजूर की कहानी भी सुनाई। उन्होंने बताया कि मंजूर एक आम मजदूर थे। उन्होंने अपने परिवार को गरीबी से उबारने के लिए कुछ अलग करने की ठानी। उन्होंने लकड़ी से बने सेब के बक्से बनाने का काम शुरू किया। तभी उन्हें पेंसिल के बारे में पता चला। उन्होंने पॉपुलर की लकड़ी यानि चिनार से पेंसिल स्लेट बनाने का कारखाना शुरू किया। आज उनका टर्नओवर करोड़ों में है। वे 200 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। 

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