नई दिल्ली। डायरेक्ट टैक्स कोड (डीटीसी) पर गठित टास्क फोर्स ने निवेश को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) को खत्म करने की सिफारिश सरकार से की है। सूत्र ने कहा कि डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स एक स्थानापन्न टैक्स है और यह विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की राह में एक बाधा है।
एक घरेलू कंपनी द्वारा डिविडेंड भुगतान पर घोषित डिविडेंड, वितरण या भुगतान पर 15 प्रतिशत की दर से डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स लगता है। 12 प्रतिशत अधिभार और 3 प्रतिशत शिक्षा उपकर के साथ इसकी प्रभावी दर 20.35 प्रतिशत है।
सूत्रों के मुताबिक, डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स को खत्म करने से सरकार के राजस्व पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि इसकी भरपाई शेयरधारकों द्वारा दिए जाने वाले कर से होगी। टास्क फोर्स ने व्यक्तिगत इनकम टैक्स दरों में कटौती के जरिये मध्यम वर्ग को भी राहत देने की सिफारिश की है।
हालांकि, सूत्रों ने कहा कि व्यक्तिगत आयकर दरों को तर्कसंगत बनाने का कदम सरकार पर निर्भर करेगा। टास्क फोर्स ने राजस्व संग्रह बढ़ाने के लिए अनुपालन को मजबूत करने का भी सुझाव दिया है।
मौजूदा इनकम टैक्स कानून की जगह लागू किए जाने वाले न्यू डायरेक्ट टैक्स कोड के ड्रॉफ्ट को तैयार करने वाले टास्क फोर्स ने अपनी अंतिम रिपोर्ट पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सौंप दी है।
सरकार ने पिछले हफ्ते इस रिपोर्ट की अनुशंसा पर कॉरपोरेट टैक्स में लगभग 10 प्रतिशत कटौती का ऐलान किया था। यह पिछले 28 सालों में अब तक की सबसे बड़ी कटौती है। मौजूदा कंपनियों के लिए बेस कॉरपोरेट टैक्स की दर 30 प्रतिशत से घटकर अब 22 प्रतिशत हो गई है। वहीं नई विनिर्माण इकाइयों, जो 1 अक्टूबर, 2019 के बाद असतित्व में आएंगी, के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर 25 प्रतिशत की बजाये 15 प्रतिशत होगी।
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