मुंबई। विश्व की सात बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं सबसे अधिक हैं। एक प्रमुख वैश्विक लॉजिस्टिक कंपनी के अध्ययन में यह बात सामने आयी है। लॉजिस्टिक कंपनी डीएचएल और परामर्श देने वाली कंपनी एसेंचर द्वारा जारी पहली रिपोर्ट ‘ग्लोबल ट्रेड बैरोमीटर’ में कहा गया कि भारत में देश के अंदर तथा देश के बाहर हवाई एवं समुद्री माल ढुलाई में सतत मजबूत बढ़ोतरी इसका कारण है।
डीएचएल ग्लोबल फॉरवर्डिंग के प्रबंध निदेशक (भारत) जॉर्ज लास्वॉन ने कहा कि विश्व की किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तुलना में भारत में प्रमुख उद्योगों ने वृद्धि का स्तर प्रदर्शित किया है जो अल्प एवं मध्यम अवधि में कारोबारी भरोसा मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2008 की तुलना में दोगुना होकर 2,440 अरब डॉलर से ऊपर निकल गई है। ढांचागत निवेश के दम पर भविष्य में इसके और बढ़ने का अनुमान है।
इस अध्ययन में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, वृहद आंकड़े और अनुमानित आकलन का इस्तेमाल कर भविष्य के व्यापार का परिदृश्य तैयार किया गया। इसमें विश्व की सात बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, जापान और भारत को शामिल किया गया है। ये सात देश वैश्विक व्यापार में 75 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं।
अध्ययन में कहा गया कि देश में वस्तुओं तथा उपकरणों की तेज मांग से हवाई व समुद्री माल ढुलाई दोनों मजबूत बनी हुई हैं। विदेश से वस्तुओं तथा औद्योगिक पदार्थों की मांग से समुद्री माल ढुलाई बेहतर होगी जबकि मशीनरी तथा प्रौद्योगिकी आयात से हवाई माल ढुलाई मौजूदा उच्च स्तर को बरकरार रखेगी।
लास्वॉन ने कहा कि हमें एक या दो क्षेत्रों में ही मजबूत प्रदर्शन की उम्मीद नहीं है बल्कि यह उम्मीद पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था से है। भारतीय कंपनियां ने केवल तेजी से वृद्धि कर रही हैं बल्कि विश्व के साथ तेजी से एकीकृत भी हो रही हैं।
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