नई दिल्ली| भारत के औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) ने सनोफी और ग्लैक्सो स्मिथ क्लाइन (जीएसके) को भारत में उनके कोरोना वैक्सीन की सुरक्षा, प्रभावकारिता और प्रतिरक्षात्मकता के आकलन के लिए तीसरे चरण के अध्ययन करने की मंजूरी दे दी है। भारत में कोविड-19 वैक्सीन उम्मीदवार फार्मा दिग्गज ने गुरुवार को इसकी घोषणा की।
डबल-ब्लाइंड फेस-3 के अध्ययन में 18 वर्ष की आयु से अधिक आयु के 35,000 से अधिक वालंटियर शामिल होंगे। परीक्षण का मुख्य उद्देश्य कोरोना संक्रमण को रोकने के साथ-साथ गंभीर लक्षणों और लक्षणहीन संक्रमण को कम करना है। सनोफी पाश्चर इंडिया की कंट्री हेड अन्नपूर्णा दास ने एक बयान में कहा कि भारत सनोफी पाश्चर के तीसरे चरण के अध्ययन में भाग ले रहा है, हमें जल्द ही देश में अध्ययन के लिए प्रतिभागियों का नामांकन शुरू करना चाहेंगे। उन्होंने कहा, हम अनुमान लगा रहे हैं कि आने वाले महीनों और वर्षों में जैसे-जैसे वायरस विकसित होगा तो इसको रोकने के लिए क्या आवश्यक होगा। हमारा मानना है कि हमारा कोरोना एडजुवेंटेड, रीकॉम्बिनेंट वैक्सीन कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
दास ने कहा कि वह कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई और भारत में हमारे नैदानिक कार्यक्रम को जल्द से जल्द शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ये दो चरणों में होगा। शुरुआती अध्ययन में वायरस स्ट्रेन (डी614) को लक्षित करने वाले वैक्सीन निर्माण की प्रभावकारिता की जांच करेगा, जबकि दूसरा चरण बीटा संस्करण (बी1351) को लक्षित करने वाले दूसरे फॉर्मूलेशन का मूल्यांकन करेगा। हाल के वैज्ञानिक प्रमाणों से पता चलता है कि बीटा संस्करण के खिलाफ बनाए गए एंटीबॉडी अन्य वेरिएंट के खिलाफ व्यापक क्रॉसप्रोटेक्शन प्रदान कर सकते हैं।
दूसरे चरण के परीक्षण में अमेरिका और होंडुरास के 722 वयस्क लोगों को शामिल किया गया था, जिनकी उम्र 18 से 95 वर्ष के बीच थी। परीक्षण में सभी आयु के लोगों में एक मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता को उत्पन्न किया। तीसरे चरण का अध्ययन आरंभ वैश्विक अंतरिम चरण 2 के परिणामों का अनुसरण करता है। फ्रांसीसी फार्मा कंपनी सनोफी और उसके ब्रिटिश सहकर्मी जीएसके का लक्ष्य 2021 में एक अरब खुराक उत्पादन करना है।
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