न्यूयार्क। भारत ने कहा कि विकसित देशों को रिन्युएबल एनर्जी प्रोग्राम्स को प्रोत्साहित करना चाहिए न कि इसमें अड़चन डालना चाहिए। साथ ही उसने सौर कंपनियों के साथ अपने बिजली खरीद समझौतों के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन के एक ताजा फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। गुरुवार को यहां संयुक्त राष्ट्र में ऐतिहासिक पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए आए पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि वह इस मौके पर अमेरिका के इस मामले में विश्व व्यापार संगठन जाने के दुर्भाग्यपूर्ण मामले को उठाएंगे।
जावड़ेकर ने कहा, मैं अपने भाषण में इस मामले को निश्चित तौर पर उठाउंगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है, सिर्फ फैसला नहीं बल्कि अमेरिका का विश्व व्यापार संगठन में जाना भी दुर्भाग्यपूर्ण है। जावड़ेकर ने कहा कि भारत ने विश्व का सबसे बड़ा नवीकरणीय उर्जा कार्यक्रम शुरू किया है और इसका बहुत छोटा सा हिस्सा भारतीय विनिर्माताओं के लिए आरक्षित रखा है। उन्होंने कहा कि फिर भी यदि बिना उचित परिप्रेक्ष्य में देखे तकनीकी आधार पर चुनौती दी जा रही है तो यह विकासशील देशों के लिए उत्साह भंग करने वाला है।
भारत ने वित्त वर्ष 2015-16 में ग्रिड से जुड़ी 3,019 मेगावाट सौर उर्जा क्षमता जोड़ी है और साल के लिए तय 2,000 मेगावाट के लक्ष्य को पार कर लिया है। स्वच्छ उर्जा पहल के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च, 2016 को भारत की कुल सौर उर्जा उत्पादन क्षमता 6,763 मेगावाट तक पहुंच गई है। पिछले वित्त वर्ष में 21,000 मेगावाट सौर उर्जा उत्पादन क्षमता के निविदाएं पहले ही जारी की जा चुकी हैं। चालू वित्त वर्ष के अंत तक सौर उर्जा उत्पादन की स्थापित क्षमता को 20,000 मेगावाट तक पहुंचाने का लक्ष्य है।
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