नई दिल्ली। नोटबंदी की सबसे ज्यादा मार दिहाड़ी श्रमिकों पर पड़ी। नोटबंदी के समय दिसंबर-2016 में समाप्त तीन महीनों के दौरान 1.52 लाख लोगों को काम नहीं मिला। सरकार ने पिछले साल नवंबर में 500 और 1000 रुपए के नोटों को अवैध करार दिया था जिससे आर्थिक गतिविधियों में बाधा आई। श्रम मंत्रालय के श्रम ब्यूरो द्वारा कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में रोजगार के परिदृश्य पर तैयार तिमाही रिपोर्ट के अनुसार, 1 अक्टूबर 2016 की तुलना में एक जनवरी, 2017 को आईटी, परिवहन, विनिर्माण समेत 8 क्षेत्रों में आकस्मिक तौर पर रखे जाने वाले दिहाड़ी श्रमिकों की श्रेणी में 1.52 लाख नौकरियों की कमी आई।
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सर्वेक्षण के अनुसार हालांकि इस दौरान पूर्णकालिक श्रमिकों की श्रेणी में 1.68 लाख की वृद्धि हुई जबकि अंशकालिक कामगारों की संख्या 46,000 घट गयी। अक्टूबर-दिसंबर के दौरान अनुबंधित और नियमित नौकरियों में क्रमश: 1.24 लाख और 1.39 की वृद्धि हुई। अक्टूबर-दिसंबर में उसकी पिछली तिमाही की तुलना में नौकरियों में 1.22 लाख की वृद्धि हुई जिनमें आर्थिक गतिविधि, लिंग, श्रमिक के प्रकार (नौकरी एवं स्वरोजगार), रोजगार की स्थिति (नियमित, अनुबंधित और दिहाड़ी) तथा काम का समय (अंशकालिक या पूर्णकालिक) शामिल हैं।
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विनिर्माण, व्यापार, परिवहन, आईटी-बीपीओ, शिक्षा और स्वास्थ्य ने 1.23 लाख श्रमिकों की वृद्धि के साथ बड़ा योगदान दिया जबकि निर्माण क्षेत्र में गिरावट आयी। जिन क्षेत्रों में रोजगार में वृद्धि हुई उनमें विनिर्माण, व्यापार, परिवहन, आईटी-बीपीओ, शिक्षा और स्वास्थ्य प्रमुख रहे। रख-रखाव और रेस्त्रां क्षेत्र में कोई बदलाव नहीं आया। स्वरोजगार श्रेणी में इस दौरान 11,000 की वृद्धि हुई।
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