नई दिल्ली। नवंबर 2016 में की गई नोटबंदी के बाद किए गए संदिग्ध जमा पर तैयार की गई एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस दौरान नकली नोटों की संख्या अपने सर्वकालिक ऊंचाई पर पहुंच गई और संदिग्ध लेनदेन में 480 प्रतिशत का इजाफा हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राइवेट, पब्लिक और कोऑपरेटिव सेक्टर सहित सभी बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं ने संयुक्त रूप से 2016-17 में 400 प्रतिशत ज्यादा संदिग्ध लेनदेन की रिपोर्ट की है। इन रिपोर्ट की संख्या 4.73 लाख है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय की फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट (एफआईयू) ने अपनी इस रिपोर्ट में कहा है कि बैंकिंग और अन्य वित्तीय चैनलों में जाली मुद्रा के लेनदेन में पिछले साल की तुलना में 2016-17 के दौरान 3.22 लाख मामले अधिक सामने आए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपए को प्रतिबंधित करने की घोषणा की थी।
2015-16 में जाली मुद्रा के कुल 4.10 लाख मामले रिपोर्ट हुए थे, वहीं 2016-17 में इनकी संख्या बढ़कर 7.33 लाख हो गई। नकली नोटों पर यह ताजा आंकड़ा अभी तक का सर्वोच्च आंकड़ा है। जाली मुद्रा के लिए रिपोर्ट के आंकड़ों को संकलित करने का काम सबसे पहले वित्त वर्ष 2008-09 में शुरू किया गया था। 2016-17 में संदिग्ध लेनेदन रिपोर्ट में 4,73,006 मामले सामने आए जो 2015-16 की तुलना में चार गुना अधिक हैं।
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