नई दिल्ली। रोजाना मेट्रो ट्रेन से यात्रा करने वाले 25 लाख लोगों के लिए राहत भरी खबर है। दिल्ली मेट्रो कर्मियों द्वारा शनिवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान करने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को उन्हें अगला आदेश आने तक ऐसा नहीं करने का आदेश दिया है। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) अपने कुछ कर्मियों द्वारा वेतनमान और बकाया के भुगतान संबंधित विवादों में है। डीएमआरसी के 9,000 गैर कार्यकारी कर्मचारियों ने मांगे पूरी नहीं होने की स्थिति में शनिवार से हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी थी।
अदालत ने आदेश देते हुए कहा कि इस तथ्य पर विचार करते हुए कि (याचिकाकर्ता) डीएमआरसी एक सार्वजनिक वाहन सेवा है, जो प्रतिदिन लगभग 25 लाख यात्रियों का परिवहन करती है, जिनमें ज्यादातर मध्यम आय वर्ग के यात्री हैं। ऐसे में याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई अंतरिम राहत प्रदान की जाती है।
आदेश के अनुसार उत्तरदाताओं (महासचिव, मेट्रो स्टाफ परिषद और अन्य) को 30 जून से या इसके बाद हड़ताल पर नहीं जाने का आदेश दिया जाता है। इससे पहले डीएमआरसी ने सार्वजनिक सूचना जारी कर कहा था कि आम जन को सूचित किया जाता है कि कर्मचारियों के एक वर्ग द्वारा आंदोलन के कारण दिल्ली/एनसीआर क्षेत्र में मेट्रो सेवाएं 30 जून, 2018 से अगली सूचना तक उपलब्ध नहीं होंगी। मेट्रो सेवाओं के अलावा, पार्किंग और फीडर बस सेवाएं भी अनुपलब्ध रहेंगी। डीएमआरसी ने आगे कहा कि असुविधा के लिए खेद है। जल्द से जल्द सेवाओं को पुन: बहाल करने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है और जनता को बहाली के विषय में जल्द से जल्द सूचित किया जाएगा।
ये कर्मचारी वेतन और पे ग्रेड में संशोधन के साथ ही एरियर के भुगतान आदि की मांग कर रहे हैं। मेट्रो कर्मचारी पहले भी अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते रहे हैं और पिछले साल जुलाई में भी ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ा था। डीएमआरसी प्रबंधन और स्टाफ काउंसिल के साथ बैठक के बाद इस हड़ताल को वापस ले लिया गया था। अब कर्मचारियों का कहना है कि पिछले साल जुलाई में प्रबंधन ने जो वादे किए थे, उसे पूरा नहीं किया गया।
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