नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र और सेबी को क्रिप्टो करेंसी के आदान-प्रदान से जुड़े टीवी विज्ञापनों के संबंध में दायर एक याचिका को लेकर जवाब देने का निर्देश दिया। याचिका में टीवी पर बिना डिस्क्लेमर के क्रिप्टो करेंसी के विज्ञापन दिखाए जाने के खिलाफ कार्रवाई करने और दिशानिर्देश जारी करने के लिए पूंजी बाजार नियामक (सेबी) को निर्देश देने की मांग की गयी है। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और भारत में संचालन करने वाले, तथा खुदरा निवेशकों को क्रिप्टो करेंसी में व्यापार के लिए आकर्षित करने के लिए विज्ञापन देने वाले तीन क्रिप्टो-एक्सचेंजों को नोटिस जारी किया।
अदालत ने अधिकारियों को जवाब दायर करने के लिए समय देते हुए मामले में अगली सुनवाई 31 अगस्त के लिए तय कर दी। सेबी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज मल्होत्रा ने कहा कि याचिका गलत दिशा में दायर की गयी है क्योंकि क्रिप्टो करेंसी के लिए नियामक भारतीय रिजर्व बैंक है ना कि सेबी। उन्होंने कहा कि सेबी प्रतिभूति बाजार का विनियमन करता है जबकि रिजर्व बैंक वित्तीय बाजार का नियामक है और इसलिए रिजर्व बैंक को याचिका में पक्ष बनाया जाना चाहिए था। याचिका में मांग की गयी कि कंपनियों के लिए विज्ञापन में वॉयस ओवर के धीरे-धीरे पढ़े जाने के साथ टीवी स्क्रीन के 80 प्रतिशत हिस्से पर डिस्क्लेमर दिखाना अनिवार्य कर देना चाहिए।
दो वकीलों - आयुष शुक्ला और विकास कुमार द्वारा दायर याचिका में मंत्रालय को तीनों कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश देने की अपील की गयी। साथ ही सेबी द्वारा उचित दिशानिर्देश आदि जारी करने तक इन कंपनियों के टीवी पर विज्ञापन देने पर रोक लगाने का निर्देश जारी करने की भी अपील की गयी है। इसमें कहा गया कि टीवी स्क्रीन पर अस्वीकरण को सही जगह और सही आकार में दिखाने से लोगों में अपनी कड़ी मेहनत की कमाई डिजिटल करेंसी को ठीक से समझे बिना उसमें निवेश करने से पहले शोध करने और जोखिम के बारे में जानने में मदद मिल सकती है।
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