कर्ज नहीं लौटाने वाले चैन की नींद नहीं सो सकते: अरुण जेटली
अरुण जेटली ने बैंकों को अधिक वित्तीय समर्थन का वादा किया है और चेताया है कि बैंकरों को परेशानी में डालने वाले डिफाल्टरों को चैन की नींद नहीं सो सकते।
ओसाका। सार्वजनिक क्षेत्र के दस बैंकों को मार्च की तिमाही में 15,000 करोड़ रुपए से अधिक का घाटा होने के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैंकों को अधिक वित्तीय समर्थन का वादा किया है और चेताया है कि बैंकरों को परेशानी में डालने वाले डिफाल्टरों को चैन की नींद सोने की छूट नहीं दी जा सकती।
जेटली ने इसके साथ ही इन सुझावों को भी खारिज कर दिया कि सार्वजनिक बैंकों का भारी घाटा कंकाल निकलने के समान है। उन्होंने कहा कि इन बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियां NPA कुछ क्षेत्रों में व्यापार संबंधी घाटे के कारण है न कि घपलों के कारण। जेटली निवेश आकर्षित करने के लिए छह दिन की यात्रा पर जापान में है। उन्होंने कहा कि उक्त घाटा फंसे कर्ज के लिए प्रावधान के कारण हुआ और एसबीआई व पीएनबी सहित ज्यादातर बैंकों ने परिचालनगत स्तर पर अच्छा मुनाफा कमाया।
वित्त मंत्री ने कहा, इन बैंकों की बैलेंस शीट देखें। पीएनबी ने परिचालन के आधार पर अच्छा मुनाफा कमाया, एसबीआई को अच्छा मुनाफा रहा। केवल पूंजीगत प्रावधानों के कारण ही यह घाटे की तरह नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि एनपीए या फंसा हुआ कर्ज हमेशा से ही रहा है। उन्होंने कहा, या तो आप इसे ढके रहेंगे या फिर इसे बैलेंस शीट में दिखाएंगे। मेरी राय में पारदर्शी बैलेंस शीट कारोबार करने का श्रेष्ठ तरीका है और बैंक अब वही कर रहे हैं।
जेटली ने कहा, मैं बहुत स्पष्ट हूं कि सरकार बैंकों को पूरी तरह मजबूत करेगी और जहां भी जरूरत होगी बैंकों का पूरी तरह समर्थन किया जाएगा। मैंने बजट में एक आंकड़ा दिया था लेकिन जरूरत पड़ने पर मैं इससे अधिक राशि पर विचार करने को तैयार हूं। बैंकों को अधिकारसंपन्न बनाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में उन्होंने कहा कि दिवाला कानून सशक्तिकरण का एक कदम है जबकि रिजर्व बैंक की रणनीतिक कर्ज पुनर्गठन प्रणाली भी है। उल्लेखनीय है कि जेटली सोमवार को सार्वजनिक बैंकों व वित्तीय संस्थानों के कामकाज की त्रैमासिक समीक्षा करने वाले हैं।
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