नई दिल्ली। सरकार ने संशोधित मूल्य दरों वाले स्टिकरों के साथ माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से पहले निर्मित सामान को बेचने की समयसीमा बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दी है। उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने यह जानकारी दी। कई कंपनियों तथा व्यापारियों के प्रमुख संगठन कन्फैडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा था कि उनके पास जीएसटी से पहले का काफी भंडार पड़ा है और उन्हें इसे निकालने के लिए और समय की जरूरत है।
जीएसटी को एक जुलाई से लागू किया गया है। सरकार ने पैकेटबंद उत्पादों पर अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) के साथ संशोधित मूल्य छापकर इसे बेचने के लिए तीन महीने यानी 30 सितंबर तक का समय दिया था। जीएसटी क्रियान्वयन के बाद इनमें से काफी उत्पादों के अंतिम खुदरा मूल्य में बदलाव हुआ है क्योंकि जहां कुछ उत्पादों पर कर प्रभाव घटा है तो कुछ पर बढ़ा है।
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने ट्वीट किया, पैकेटबंद जिंसों पर उद्योग जीएसटी की वजह से स्टिकर, स्टाम्पिंग, ऑनलाइन प्रिटिंग के जरिये संशोधित मूल्य दिखा सकता है। अब यह सीमा बढ़ाकर 31 दिसंबर की जा रही है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कई कंपनियों मसलन विप्रो, एचपीएल और अन्य गैर खाद्य कंपनियों ने इसकी समयसीमा बढ़ाने की मांग की थी, जिसकी वजह से यह कदम उठाया गया है। व्यापारियों के संगठन कैट ने कहा था कि यदि एमआरपी लेबल वाले पुराने स्टॉक को निकालने की समयसीमा नहीं बढ़ाई जाती है तो इससे करीब छह लाख करोड़ रुपए का सामान बेकार हो जाएगा।
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