मुंबई। दिवाली पर शांति के बाद टाटा समूह और हाल में हटाए गए समूह के पूर्व चेयरमैन सायरस मिस्त्री के बीच जुबानी जंग बढ़ता नजर आ रहा है। मिस्त्री ने मंगलवार को कहा कि यह कहना गलत और शरारत-भरा है कि उन्होंने टाटा-डोकोमो मामलें में जो कार्रवाई की वह अपनी मर्जी से की और रतन टाटा को उसकी जानकारी नहीं थी।
मिस्त्री के कार्यालय ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि ये आरोप भी निराधार है कि उन्होंने डोकोमो के मुद्दे से निपटने का जो तरीका अपनाया वह टाटा घराने की संस्कृति और मूल्यों से मेल नहीं खाता। मिस्त्री ने इस तरह की बातों को भी खारिज किया है कि डोकोमों के खिलाफ जिस ढंग से मुकदमा लड़ा उसे रतन टाटा या समूह के न्यायासी शायद मंजूर नहीं करते। मिस्त्री का दावा है कि इस तरह की चर्चाएं, जो बातचीत हुई थी उसके विपरीत हैं।
- बयान में कहा गया है, टाटा-डोकोमो मामले में सभी निर्णय टाटा संस के निदेशक-मंडल की स्वीकृति से लिए गए।
- कार्रवाई की गई वह ऐसे प्रत्येक सामूहिक निर्णय के अनुरूप थी।
- बयान में कहा गया है कि डोकोमो की स्थिति पर टाटा संस के निदेशक-मंडल में कई चर्चाएं हुई थी।
- मिस्त्री ने हमेशा कहा कि टाटा-समूह को कानून के अनुसार अपनी सभी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करना चाहिए।
- यह रूख टाटा संस के निदेशक-मंडल के दृष्टिकोण पर आधारित है।
- एक के बाद एक निदेशक-मंडल की उन कई बैठकों के (दृष्टिकोण) के अनुरूप है जिसमें डोकोमो के मुद्दे पर चर्चा हुई थी।
- जापान की एनटीटी डोकोमो कंपनी का टाटा समूह के साथ शेयरों के भुगतान को लेकर मुकदमा चल रहा है।
- डोकोमो ने नवंबर 2009 में टाटा टेलीसर्विसेज में 26.5 प्रतिशत हिस्सेदारी ली थी।
- उस समय प्रति शेयर 117 रूपए के भाव पर सौदा 12,740 करोड़ रुपए का था।
- उस समय यह सहमति हुई थी कि पांच साल के अंदर कंपनी छोड़ने पर उसे अधिग्रहण की कीमत का कम से कम 50 प्रतिशत भुगतान वापस किया जाएगा।
- डोकोमो ने अप्रैल 2014 में कंपनी से अलग होने का निर्णय किया और 58 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से 7,200 करोड़ रुपए की मांग रखी।
- लेकिन टाटा समूह ने उसे रिजर्व बैंक के एक नियम का हवाला देते हुए 23.34 रुपए प्रति शेयर की दर से भुगतान की पेशकश की।
- आरबीआई के नियम के अनुसार कोई विदेशी कंपनी यदि निवेश से बाहर निकलती है।
- तो उसे शेयर पूंजी पर लाभ के आधार पर तय कीमत से अधिक का भुगतान नहीं किया जा सकता।
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