मुंबई। वित्त वर्ष 2015-16 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में देश का चालू खाता घाटा (सीएडी) पहली तिमाही की तुलना में बढ़कर 8.2 अरब डॉलर रहा है, जो कि जीडीपी का 1.6 फीसदी है। सितंबर तिमाही में चालू खाते का घाटा मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल-जून के 1.2 फीसदी से अधिक है। हालांकि सीएडी में बढ़ोत्तरी सीमित है और यह विशेषकर व्यापार घाटे में आई गिरावट की वजह से है। पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में देश का चालू खाता घाटा 10.9 अरब डॉलर था, जो जीडीपी का 2.2 फीसदी था। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले सप्ताह कहा था कि 2015-16 में सीएडी जीडीपी के 1.2 फीसदी तक सीमित रहने का अनुमान है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने दूसरी तिमाही के लिए भुगतान संतुलन संबंधी आंकड़ों में यह जानकारी दी है। इसके अनुसार, सीएडी में गिरावट मुख्य रूप से कम व्यापार घाटे (37.4 अरब डॉलर) में कमी के कारण है। व्यापार घाटा पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 39.7 अरब डॉलर, जबकि इस साल अप्रैल-जून तिमाही में 34.2 अरब डॉलर था।
इसके अनुसार, हालांकि परिवहन, बीमा व पेंशन सेवाओं में निर्यात प्राप्तियों में गिरावट के कारण शुद्ध सेवा प्राप्तियों में सालाना आधार पर मामूली कमी आई। गत तिमाही की तुलना में कुछ सुधार देखा गया। इसके अनुसार पहली तिमाही में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में वृद्धि आई थी, जो कि 2015-16 की दूसरी तिमाही में अपेक्षाकृत नरम रही। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में शुद्ध एफडीआई अंतर्प्रवाह सालाना आधार पर 10 फीसदी से अधिक बढ़ा है। इसी तरह मौजूदा वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में सीएडी घटकर जीडीपी का 1.4 फीसदी रह गया, जो कि गत वर्ष की समान अवधि में 1.8 फीसदी था। इसी तरह पहली छमाही में भारत का व्यापार घाटा घटकर 71.6 अरब डॉलर रह गया, जो कि गत वर्ष 74.7 अरब डॉलर था।
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