नई दिल्ली। आभासी मुद्रा क्रिप्टोकरेंसी उद्योग ने बुधवार को सरकार से भारत में क्रिप्टो परिसंपत्तियों को विनियमित करने के लिए सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए दृष्टिकोण अपनाने की अपील की है। उद्योग के दिग्गजों ने देश में निवेशकों को शांत रहने तथा जल्दबाजी में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचने का भी आग्रह किया है। सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित विधेयक पेश कर सकती है। इसमें निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने तथा रिजर्व बैंक द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा को विनियमित करने के लिए ढांचा तैयार करने की बात कही गई है।
लोकसभा के बुलेटिन के अनुसार, संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान निचले सदन में पेश किए जाने वाले विधेयकों की सूची में क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक 2021 सूचीबद्ध है। इस विधेयक में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के सृजन के लिए एक सहायक ढांचा सृजित करने की बात कही गई है। इस प्रस्तावित विधेयक में भारत में सभी तरह की निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने की बात कही गई है। हालांकि, इसमें कुछ अपवाद भी है, ताकि क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित प्रौद्योगिकी एवं इसके उपयोग को प्रोत्साहित किया जाए। भारत में अभी क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग के संबंध में न तो कोई प्रतिबंध है और न ही कोई नियमन की व्यवस्था है।
बाय-यूक्वाइन के सीईओ शिवम ठकराल ने कहा कि कंपनी उम्मीद करती है कि विधेयक भारतीय क्रिप्टो धारकों, भारतीय क्रिप्टो उद्यमियों और निवेशकों की आकांक्षाओं को ध्यान में रखेगा, जिन्होंने भारत में क्रिप्टो करेंसी के विकास में अपना विश्वास रखा है। उन्होंने कहा कि नई ब्लॉकचेन परियोजनाओं के फलने-फूलने के लिए क्रिप्टो विधेयक में पर्याप्त लचीलापन होना चाहिए और हमारा मानना है कि व्यापार के लिए भारत में किसी भी एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने से पहले नई क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक मानक प्रक्रिया होनी चाहिए। ठकराल ने कहा कि मुझे लगता है कि बिटकॉइन और एथेरियम जैसी लोकप्रिय क्रिप्टो परिसंपत्तियों को एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लिए नियामकों द्वारा पूर्व-अनुमोदित किया जाएगा। हम सरकार से क्रिप्टो परिसंपत्तियों के कराधान और फाइलिंग पर तत्काल स्थिति स्पष्ट करने का भी अनुरोध करते हैं।
कॉइनस्विच कुबेर के संस्थापक और सीईओ आशीष सिंघल ने कहा कि उद्योग निवेशकों की सुरक्षा को सबसे आगे रखते हुए सभी हितधारकों के साथ सक्रिय रूप से संवाद कर रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में हमारी चर्चा से संकेत मिलता है कि ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर एक व्यापक सहमति है, वित्तीय प्रणाली की स्थिरता को सुदृढ़ किया गया है और भारत क्रिप्टो प्रौद्योगिकी क्रांति का लाभ उठाने में सक्षम है। ब्लॉकचेन और क्रिप्टो एसेट्स काउंसिल (बीएसीसी) के सह-अध्यक्ष सिंघल ने कहा कि इस समय, मैं देश के सभी क्रिप्टो संपत्ति निवेशकों से शांत बने रहने की अपील करता हूं, वे घबराहट में किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले अपनी तरफ से शोध करें।
ओकेएक्सडॉटकॉम के सीईओ जय हाव ने कहा कि भारत में दुनिया में सबसे अधिक क्रिप्टो धारक हैं और देश में इतने सारे क्रिप्टो निवेशकों के हितों की रक्षा करने की जिम्मेदारी सरकार पर है। उन्होंने कहा कि हम सरकार से भारत में क्रिप्टो परिसंपत्तियों को विनियमित करने के लिए एक सूक्ष्म दृष्टिकोण अपनाने की अपील करते हैं। क्रिप्टोकरेंसी विधेयक के सकारात्मक परिणाम के साथ, भारत क्रिप्टो, डेफी (विकेंद्रित वित्त) और एनएफटी (नॉन फंजिबल टोकन) में वैश्विक गुरू बनने की एक रोमांचक यात्रा शुरू करेगा।
भारत में अभी क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग के संबंध में न तो कोई प्रतिबंध है और न ही कोई नियमन की व्यवस्था है। इस पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी महीने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की थी और संकेत दिया था कि इस मुद्दे से निपटने के लिए सख्त विनियमन संबंधी कदम उठाए जाएंगे। हाल के दिनों में काफी संख्या में ऐसे विज्ञापन आ रहे हैं जिसमें क्रिप्टोकरेंसी में निवेश में काफी फायदे का वादा किया गया और इनमें फिल्मी हस्तियों को भी दिखाया गया। ऐसे में निवेशकों को गुमराह करने वाले वादों को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही थी।
पिछले सप्ताह वित्त मामलों पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष एवं भाजपा सांसद जयंत सिन्हा ने क्रिप्टो एक्सचेंजों, ब्लॉकचेन एवं क्रिप्टो आस्ति परिषद (बीएसीसी) के प्रतिनिधियों एवं अन्य लोगों से मुलाकात की थी और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि क्रिप्टो करेंसी को प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए बल्कि इसका नियमन किया जाना चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक ने बार—बार क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ सख्त विचार व्यक्त किए हैं। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी इस महीने के प्रारंभ में क्रिप्टोकरेंसी को अनुमति दिए जाने के खिलाफ सख्त विचार व्यक्त किए थे और कहा था कि ये वित्तीय प्रणाली के लिए गंभीर खतरा है।
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