नई दिल्ली। कच्चे तेल की कीमतों में नरमी लगातार जारी है। इस हफ्ते क्रूड की कीमत नरमी के साथ एक बार फिर 80 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से नीचे आ गयी हैं। दरअसल यूरोप में महामारी का असर एक बार फिर बढ़ता हुआ दिख रहा है, जिससे मांग पर असर की आशंका से कीमतें नीचे आई हैं।
शुक्रवार को ब्रेंट करीब 3 प्रतिशत टूटा
शुक्रवार के कारोबार में जनवरी कॉन्ट्रैक्ट के लिये ब्रेंट फ्यूचर 2.9 प्रतिशत की गिरावट के साथ 78.89 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गया। वहीं दिसंबर सौदों के लिये डब्लूटीआई क्रूड 3.6 प्रतिशत की गिरावट के साथ 76 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया। ये लगातार चौथा हफ्ता है जब ब्रेंट और डब्लूटीआई क्रूड में गिरावट दर्ज हुई है, और साथ ही ऐसा मार्च 2020 के बाद पहली बार देखने को मिला है, जब क्रूड कीमतें लगातार चौथे हफ्ते टूटी हैं। इस साल अब तक ब्रेंट क्रूड की कीमतों में 60 प्रतिशत की बढ़त दर्ज हो चुकी है। दरअसल अर्थव्यवस्थाओं में रिकवरी और आर्थिक गतिविधियों के खुलने के साथ मांग में तेजी और उसके अनुसार सप्लाई में सीमित बढ़त से कीमतों में तेजी दर्ज हुई। हालांकि अब मांग को लेकर आशंकाओं के बाद कीमतों में फिर नरमी हैं।
क्यों आई तेल कीमतों में गिरावट
तेल कीमतों में मौजूदा गिरावट महामारी के यूरोप में बढ़ते असर की वजह से देखने को मिल रही है। यूरोप में कोरोना के मामले एक बार फिर बढ़ रहे हैं। ऑस्ट्रिया अगले हफ्ते से लॉकडाउन का ऐलान कर चुका है। इससे निवेशकों के बीच अनिश्चितता बन गयी है। इसके साथ ही दुनिया भर के कई बड़े देश स्ट्रेटजिक पेट्रोलियम रिजर्व यानि SPR से तेल की सप्लाई बढ़ा सकते हैं। दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति ने तेल कीमतों में नरमी के लिये इन देशों से एसपीआर में जमा तेल को बाहर निकलाने का आग्रह किया था। गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट के मुताबिक तेल कीमतों में हाल के हफ्तों में 4 डॉलर प्रति बैरल की कमी SPR के द्वारा करीब 10 करोड़ बैरल तेल सप्लाई बढ़ाने के अनुमानों का असर है।
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