नई दिल्ली। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि मौजूदा फसल बीमा योजना विफल हो गई है, क्योंकि इसके केवल छह राज्यों में लागू किया जा रहा है और किसान ऊंची दर पर प्रीमियम का भुगतान करने के लिए बाध्य हैं। वहीं बीमा की राशि सीमित किए जाने की वजह से उन्हें दावे का एक बहुत छोटा हिस्सा मिलता है।
प्रीमियम ज्यादा, भुगतान कम
संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना को 2013-14 के रबी सीजन से आंध्र प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और केरल में लागू किया जा रहा है। इस योजना के तहत किसानों द्वारा भुगतान की जाने वाली प्रीमियम की दर 2 से 15 फीसदी है, जबकि वास्तविक प्रीमियम 57 फीसदी तक है जो अधिक जोखिम वाली फसलों और रकबों पर निर्भर करती है। अधिकारी ने कहा, इस योजना में प्रीमियम की दरें सीमित की गई हैं और यदि वास्तविक प्रीमियम दर सीमित दर से अधिक हो तो बीमित राशि उसी अनुपात में घट जाती है। इससे ऊंची प्रीमियम दर के बावजूद आपदा की स्थिति में कम भुगतान मिलता है।
2016-17 में शुरू होगी नई फसल बीमा योजना
सरकार बहुचर्चित नई फसल बीमा योजना की वर्ष 2016-17 में शुरूआत करेगी जिसका उद्देश्य किसानों द्वारा भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम की दर को कम रखना और दावों का त्वरित निपटान करना है। शनिवार को कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा, “हमने संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एमएनएआईएस) की मौजूदा स्कीम में खामियों की पहचान की है और एक नई फसल बीमा योजना तैयार की है। एक बार इसे मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल जाती है तो इस योजना को वर्ष 2016-17 में लागू कर दिया जाएगा।”
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