नई दिल्ली। टेलीकॉम सेक्टर में रिलायंस जियो (Reliance Jio) की एंट्री के बाद शुरू हुई प्राइस वार के चलते आगे भी Airtel, Idea और Vodafone अपना मार्केट शेयर बचाने के लिए टैरिफ में सालभर कटौती करती रहेंगी। यह खुलासा रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (CRISIL) की रिपोर्ट में हुआ है। यह भी पढ़े: 4G डाउनलोड स्पीड में मार्च में भी RJio रहा सबसे आगे, आइडिया दूसरे और एयरटेल तीसरे स्थान पर
क्रिसिल रिसर्च के डायरेक्टर अजय श्रीनिवासन का कहना है कि
मौजूदा फाइनेंशियल ईयर 2017-18 में भी टेलीकॉम सेक्टर की टॉप-3 कंपनियों की टेंशन बरकरार रहेगी। साथ ही, मार्केट लीडर बनने के लिए कंपनियों के मुनाफे पर निगेटिव असर होगा।
इस प्राइस वॉर से कंपनियों के एबिटा मार्जिन्स पर बड़ा दबाव देकने को मिलेगा। मौजूदा वित्त वर्ष में कंपनियों के एबिटा में 1 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिल सकती है। यह भी पढ़े: BSNL ने लॉन्च किया एक और बड़ा धमाकेदार ऑफर, ग्राहकों को मिलेगा रोजाना 10 GB इंटरनेट डाटा
डेटा ट्रैफिक 5 गुना बढ़ा
क्रिसिल के अनुसार, पिछले एक साल में डेटा ट्रैफिक पांच गुना बढ़ा है। जबकि, जियो की लॉन्चिंग के बाद से 4G डेटा की कीमतों में 60 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल का मानना है कि देश की बड़ी टेलीकॉम कंपनियों को मौजूदा वित्त वर्ष में एजीआर ग्रोथ को 0-5 फीसदी के बीच रखना है तो उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने सब्सक्राइब को बचाना है। यह भी पढ़े: BSNL का सबसे बड़ा धमाका, लॉन्च किए 3 नए और सस्ते प्लान, 333 रुपए में मिलेगा 270 GB डेटा
दुनियाभर के टेलीकॉम इंडस्ट्रीज लीडर्स करते है ये काम
श्रीनिवासन का कहना है कि दुनियाभर के बड़े डेटा कंज्यूमर मार्केट में भी बड़ी टेलीकॉम कंपनियों की फाइनेंशियल और व्यवसायिक गतिशीलता भी बाजार नेतृत्व से जुड़े प्रीमियम की पुष्टि करते हैं। उदाहरण के लिए, वेरिजोन, जो सबसे बड़ा यूएस वायरलेस कंपनी है, उसका कहना है कि अगर मार्केट शेयर को बचाए रखना है और लीडर बनना है तो नेटवर्क की क्वालिटी में तेजी से सुधार करते रहना होगा। इसी तरह का काम दुनिया की अन्य बड़ी टेलीकॉम कंपनी कर रही है।
एयरटेल है टेलीकॉम इंडस्ट्री का दमदार प्लेयर
क्रिसिल रिसर्च के मुताबिक, इंडिया की टेलीकॉम कंपनियां भी इसी तरह की प्रवृत्ति का संकेत देती हैं। उदाहरण के लिए, भारती एयरटेल के के देश के ऑपरेशन की प्रॉफिटेबिलिटी अपने साथियों से बेहतर है और एवरेज रिटर्न 10 फीसदी के नजदीक है। जबिक, अन्य बड़ी टेलीकॉम कंपनियों का 6-8 फीसदी है।
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