नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के चलते घरेलू खपत और निवेश प्रभावित होने के कारण क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सोमवार को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की वृद्धि दर के अनुमान को 11 प्रतिशत से घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया। क्रिसिल के अलावा भी कई संस्थाओं ने भारत की वृद्धि दर के अनुमानों में कटौती की है और कुछ तो इसके 7.9 प्रतिशत रहने की बात कह चुके हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 7.3 प्रतिशत संकुचन हुआ। क्रिसिल के अर्थशास्त्रियों ने अपने पूर्वानुमानों में कटौती करते हुए कहा कि वृद्धि के दो वाहकों - निजी खपत और निवेश, पर दूसरी लहर का प्रकोप एकदम स्पष्ट है, जिसके चलते ये संशोधन किए गए हैं।
रेटिंग एजेंसी ने अपनी टिप्पणी में कहा कि संक्रमण के दैनिक मामलों में ऊपरी स्तर से गिरावट आई है, लेकिन राज्यों को प्रतिबंध हटाते समय सावधान रहना चाहिए, क्योंकि एक और लहर आने की आशंका बनी हुई है। धीमी गति से हो रहे टीकाकरण के चलते यह आशंका और भी बढ़ गई है। क्रिसिल ने कहा कि कोविड-19 से संबंधित प्रतिबंध कुछ हद तक जारी रहेंगे और कम से कम अगस्त तक किसी न किसी रूप में गतिशीलता प्रभावित होगी।
रिजर्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि के अनुमान को एक प्रतिशत अंक कम करके 9.5 प्रतिशत कर दिया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोरोना महामारी की पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर के प्रभाव कुछ नियंत्रण में रहने का अनुमान है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुये, ‘‘वर्ष 2021- 22 के लिये जीडीपी की वास्तविक वृद्धि दर अब 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पहली तिमाही में इसके 18.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.9 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 7.2 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
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