नई दिल्ली। भारत की 50 प्रतिशत से अधिक कंपनियों ने स्वीकार किया है कि कोरोना वायरस (कोविड-19) के प्रकोप के मद्देनजर उनका परिचालन प्रभावित हुआ है और करीब 80 प्रतिशत कंपनियों ने कहा है कि उनके नकदी प्रवाह में कमी आई है। उद्योग संगठन फिक्की के एक सर्वेक्षण के अनुसार इस महामारी ने देश की अर्थव्यवस्था के लिए नई चुनौतियां पेश की हैं और इससे मांग तथा आपूर्ति दोनों बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।
गौरतलब है कि भारत पहले ही वृद्धि दर में कमी का सामना कर रहा है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था 4.7 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जो छह साल में सबसे कम थी। फिक्की ने कहा कि 53 प्रतिशत भारतीय कंपनियों ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के चलते कारोबार प्रभावित हुआ है। सर्वेक्षण के मुताबिक महामारी के चलते लगभग 80 प्रतिशत प्रतिभागियों ने नकदी प्रवाह में कमी की बात कही।
सर्वे में कहा गया है कि वस्तुओं और सेवाओं की मांग एवं आपूर्ति पर प्रत्यक्ष प्रभाव के अलावा, कंपनियों को धीमी आर्थिक गतिविधियों के कारण नकदी प्रवाह में कमी का सामना करना पड़ रहा है, जो कर्मचारियों, ब्याज, ऋण पुर्नभुगतान और करों के भुगतान की क्षमता को प्रभावित करेगा।
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