नई दिल्ली। कृषि श्रमिकों और ग्रामीण कामगारों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति इस साल सितंबर महीने में मामूली रूप से घटकर क्रमश: 6.25 और 6.1 प्रतिशत रही। हालांकि इस अवधि के दौरान खाद्य वस्तुओं के दाम ऊपरी स्तरों पर बने हुए हैं। कृषि श्रमिकों और ग्रामीण कामगारों के लिये खुदरा महंगाई दर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-कृषि श्रमिक (सीपीआई-एएल) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-ग्रामीण श्रमिक (सीपीआई-आरएल) के संदर्भ में मापी जाती है। श्रम मंत्रालय ने बयान में कहा कि कृषि श्रमिकों की महंगाई दर सितंबर में कम होकर 6.25 प्रतिशत और ग्रामीण कामगारों के लिये 6.1 प्रतिशत रही जबकि इससे पहले अगस्त में यह क्रमश: 6.32 प्रतिशत और 6.28 प्रतिशत थी। सूचकांक में वृद्धि राज्यों के हिसाब से अलग-अलग रही। कृषि श्रमिकों के मामले में 20 राज्यों में सूचकांक 1 से 23 अंक तक बढ़ा। तमिलनाडु में यह सूचकांक 1,234 अंक के साथ सबसे ऊपर जबकि हिमाचल प्रदेश 816 अंक के साथ सबसे नीचे रहा। ग्रामीण कामगारों के मामले में 20 राज्यों में 2 से 20 अंक की बढ़ोतरी हुई। तमिलनाडु 1,218 अंक के साथ सूचकांक सारणी में सबसे ऊपर जबकि हिमाचल प्रदेश 863 अंक के साथ सबसे निचले रहा।
कृषि श्रमिकों के मामले में सीपीआई में सर्वाधिक 23 अंक की वृद्धि हिमाचल प्रदेश में दर्ज की गयी। वहीं ग्रामीण कामगारों के संदर्भ में जम्मू कश्मीर में सर्वाधिक 20 अंक की वृद्धि हुई। इस वृद्धि का कारण मुख्य रूप से गेहूं आटा, दाल, सरसों तेल, दूध, प्याज, सूखी मिर्च, लहसुन, अदरक, बस किराया, सब्जी, फलों के दाम आदि में आई बढ़ोतरी है। अखिल भारतीय सीपीआई संख्या कृषि श्रमिकों और ग्रामीण कामगारों के लिये सितंबर, 2020 में क्रमश: 11 अंक और 10 अंक बढ़कर 1,037 और 1,043 अंक रहे। कृषि श्रमिकों और ग्रामीण मजदूरों के सामान्य सूचकांक में वृद्धि को लेकर मुख्य रूप से योगदान खाद्य वस्तुओं का रहा। कृषि श्रमिकों के मामले में यह 9.20 और ग्रामीण मजदूरों के मामले में 8.95 अंक था। इसका कारण मुख्य रूप से अरहर दाल, मसूर दाल, मूंगफली तेल, सरसों तेल, सब्जी और फलों के दाम में तेजी है। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने बयान में कहा, ‘‘मुद्रास्फीति के लगातार आठवें महीने नरम होने से गांवों में रहने वाले लाखों कामगारों की जरूरत के सामान पर दैनिक खर्च कम होगा और उन्हें बचत होगी।’’
Latest Business News