रिटेल महंगाई मार्च में पहुंची पांच माह के उच्च स्तर पर, फरवरी में औद्योगिक उत्पादन 1.2 फीसदी घटा
ईंधन की ऊंची कीमतों की वजह से रिटेल महंगाई मार्च में पिछले पांच माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।
नई दिल्ली। दूध, अंडा, खाद्य तेल, ईंधन एवं बिजली की महंगाई से रिटेल महंगाई मार्च में बढ़कर पांच महीने के उच्च स्तर 3.81 प्रतिशत पर पहुंच गई।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति फरवरी में 3.65 प्रतिशत थी।
दूध एवं दुग्ध उत्पाद तथा अंडा जैसे प्रोटीन युक्त खाने के सामान आलोच्य महीने में महंगे हुए और इनकी महंगाई दर क्रमश: 5.13 प्रतिशत तथा 2.96 प्रतिशत रही। तैयार खाना, स्नैक और मिठाई की कीमतों में भी मार्च में सालाना आधार पर 6.13 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार हालांकि सब्जियों के दाम लगातार नीचे बने हुए हैं। इसके भाव इस बार मार्च महीने में एक साल पहले की तुलना में 8.57 प्रतिशत नीचे रहे। कुल मिलाकर खाद्य मुद्रास्फीति आलोच्य महीने में 1.85 प्रतिशत रही, जो फरवरी में 2.01 प्रतिशत थी। ईंधन और बिजली श्रेणी में महंगाई दर मार्च महीने में बढ़कर 5.75 प्रतिशत रही।
इस साल सामान्य से कम मानसून की वजह से खाद्य कीमतों में वृद्धि की संभावना के चलते भारतीय रिजर्व बैंक ने लगातार अपनी तीसरी द्वीमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखा है।
खुदरा (CPI) मुद्रास्फीति फरवरी में बढ़कर 3.65 प्रतिशत हुई, खाद्य और ईंधन कीमतों में वृद्धि का हुआ असर
औद्योगिक उत्पादन चार महीने के निचले स्तर पर
फरवरी में औद्योगिक उत्पादन 1.2 प्रतिशत गिरा, जो इस क्षेत्र का चार महीने का सबसे खराब प्रदर्शन है। आलोच्य माह में खास कर विनिर्माण इकाइयों और पूंजीगत तथा उपभोक्ता सामान क्षेत्र के उत्पादन में तेज गिरावट ने औद्योगिक वृद्धि को डुबाया।
फरवरी, 2016 में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 1.99 प्रतिशत रही थी। बीते वित्त वर्ष 2016-17 के पहले 11 माह यानी फरवरी तक औद्योगिक उत्पादन कुल मिला कर 0.4 प्रतिशत प्रतिशत की नाम मात्र की वृद्धि के साथ एक साल पहले के स्तर पर ही बना रहा। वर्ष 2015-16 के पहले 11 महीनों में औद्योगिक वृद्धि 2.6 प्रतिशत थी।
सीएसओ ने जनवरी के औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर के आंकड़ों को संशोधित कर 3.27 प्रतिशत कर दिया है। पिछले महीने जारी अस्थायी आंकड़ों में जनवरी की वृद्धि 2.74 प्रतिशत बताई गई थी। इससे पहले अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन 1.87 प्रतिशत घटा था। इसके बाद नवंबर में यह 5.59 प्रतिशत चढ़ा था।
फरवरी में औद्योगिक उत्पादन में गिरावट की प्रमुख वजह विनिर्माण क्षेत्र रहा। आईआईपी में 75 प्रतिशत का भारांश रखने वाले विनिर्माण क्षेत्र में माह के दौरान दो प्रतिशत की गिरावट आई। फरवरी, 2016 में इस क्षेत्र का उत्पादन 0.6 प्रतिशत बढ़ा था।