अर्थव्यवस्था में आ सकती हैं बड़ी गिरावट, देश के लिए चिंता की बात
कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में लगातार वृद्धि और देश में लगाये गये कड़े लॉकडाउन का प्रभाव जारी रहने से अर्थव्यवस्था पर दबाव बना हुआ जिससे आर्थिक वृद्धि को लेकर चिंता गहरा गई है।
नयी दिल्ली: कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में लगातार वृद्धि और देश में लगाये गए कड़े लॉकडाउन का प्रभाव जारी रहने से अर्थव्यवस्था पर दबाव बना हुआ जिससे आर्थिक वृद्धि को लेकर चिंता गहरा गई है। डन एण्ड ब्राडस्ट्रीट अर्थव्यवस्था के अनुमान पर जारी रिपोर्ट के मुताबिक आर्थिक स्थिति में सुधार की गति धीमी बनी हुई है। डन एण्ड ब्राडस्ट्रीट के वैश्विक मुख्य अर्थशास्त्री अरुण सिंह ने कहा, ‘‘संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए अब लगता है कि सुधार की गति धीमी रहेगी। ऐसे में यदि वृद्धि की ‘अंग्रेजी के वी शब्द’ के आकार की तरह नीचे आने के बाद तेजी से ऊपर भी जाती है तब भी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का स्तर काफी अहम होगा। ऋण वृद्धि उतनी तेजी से नहीं बढ़ी है जैसा कि सोचा गया था।’’
अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट का सामना करना पड़ सकता है
सिंह ने कहा इसके अलावा लघु एवं मध्यम उद्यमों (एसएमई) के लिये ऋण गारंटी योजना सरकार की तरफ से पेश की गई है, इसमें भी कर्ज का उठाव जितना इस समय है उससे अधिक मजबूत रहने की उम्मीद की गई थी। विभिन्न अनुमानों के मुताबिक भारत की कोरोना वायरस से जूझती अर्थव्यवस्था को चालू वित्त वर्ष के दौरान बड़ी गिरावट का सामना करना पड़ सकता है।
जीडीपी में 23.9 फीसदी की अब तक की सबसे बड़ी गिरावट
देश की अर्थव्यवसथा को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) के दौरान जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की अब तक की सबसे बड़ी गिरावट का देखनी पड़ी है। इस दौरान पहले से ही घटती उपभोक्ता मांग और निवेश के ऊपर कोरोना वायरस की वजह से लगाये गये लॉकडाउन का गहरा असर पड़ा। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक मंगलवार को देश में कोरोना वायरस से संक्रमितों का कुल आंकड़ा 70,589 नये मामलों के साथ बढ़कर 61,45,291 तक पहुंच गया जिसमें 96,318 लोगों की मौत हो चुकी है।
डन एण्ड ब्राडस्ट्रीट (डी एण्ड बी) की रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील के बाद औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में गिरावट की गति कम होने की उम्मीद है। बहरहाल, ‘‘संक्रमण के मामलों में लगातार वृद्धि और अप्रैल- मई में लगाये गये सख्त लॉकडाउन का असर जारी रहने से आने वाली तिमाहियों में भी वृद्धि की गति को कम कर दिया। सरकार की वित्तीय स्थिति पर दबाव, निवेश गतिविधियों में कमी और उपभोक्ता तथा कंपनियों दोनों के स्तर पर संभावित डिफाल्ट मामले बढ़ने की आशंका से आर्थिक वृद्वि को नीचे खींचते रहेंगे।