नई दिल्ली। कंपनियों के कोरोना वायरस से निपटने को लेकर किए जा रहे व्यय को उनके सामाजिक कॉरपोरेट उत्तरदायित्व यानि CSR का हिस्सा माना जाएगा। देशभर में कोरोना वायरस का खतरा बढ़ता जा रहा है। इससे संक्रमित लोगों का आंकड़ा 400 के पार जा चुका है। इसके चलते देश भर में करीब 80 से ज्यादा जिलों को लॉकडाउन किया गया है। कंपनी अधिनियम के तहत कंपनियों को एक वित्त वर्ष में अपने तीन साल के वार्षिक शुद्ध लाभ का कम से कम दो प्रतिशत कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत खर्च करना होता है। कॉरपोरेट कार्य मामलों के मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर कहा कि कोरोना वायरस से निपटने पर किया जा रहा कंपनियों का खर्च सीएसआर के दायरे में आने योग्य है। इस मंत्रालय के पास कंपनी अधिनियम को लागू करने की जिम्मेदारी है।
कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट कर कहा, कि देश में कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत सरकार ने इसे आपदा घोषित करने का निर्णय किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे वैश्विक महामारी घोषित किया है। इसलिए यह स्पष्ट किया जाता है कि कंपनियों के इस पर किए जाने वाले सीएसआर कोष के खर्च को सीएसआर गतिविधि माना जाएगा।
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