4 साल में कंपनियों का CSR खर्च 47 प्रतिशत बढ़ा, 7536 करोड़ रुपए किए खर्च
भारतीय कंपनियों ने 2017-18 में कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) गतिविधियों पर 7,536.3 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
नई दिल्ली। भारतीय कंपनियों ने 2017-18 में कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) गतिविधियों पर 7,536.3 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इस तरह 2014-15 से चार साल में कंपनियों के सीएसआर खर्च में 47 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। केपीएमजी इंडिया के सीएसआर पर सर्वे-2018 में यह जानकारी दी गई है। सर्वे में कहा गया है कि सीएसआर गतिविधियों पर खर्च में पहले साल 2014 से उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है। 2014-15 से 2017-18 के चार वर्षों में देश की शीर्ष 100 कंपनियों ने सीएसआर गतिविधियों पर कुल मिलाकर 26,385 करोड़ रुपए की राशि खर्च की है।
इन चार वर्षों में प्रति कंपनी औसत सीएसआर खर्च 29 प्रतिशत बढ़ा है। 2014-15 में प्रति कंपनी औसत खर्च 58.8 करोड़ रुपए था, जो 2017-18 में 76.1 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। सर्वे में बताया गया है कि इन चार वर्षों में सीएसआर के खर्च के लिए रखी गई ऐसी राशि जिसका इस्तेमाल नहीं हो पाया, 749 करोड़ रुपए घटी है। 2014-15 में खर्च नहीं हुई राशि 1,738 करोड़ रुपए थी, जो 2017-18 में घटकर 989 करोड़ रुपए रह गई।
केपीएमजी इंडिया के भागीदार और प्रमुख (पर्यावरण एवं सीएसआर परामर्श) संतोष जयराम ने कहा कि यह इस रिपोर्ट का चौथा साल है। इस साल दो प्रमुख चीजें सामने आई हैं। पहला सीएसआर के इर्द-गिर्द कामकाज का संचालन और दूसरा विकास में निजी क्षेत्र का योगदान।
उन्होंने कहा कि सीएसआर को लेकर संचालन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। सीएसआर समिति के कामकाज में उल्लेखनीय सुधार हुआ है और अब शीर्ष कार्यकारी भी इसमें शामिल हो रहे हैं और कंपनियों के बोर्डरूम में भी इस पर चर्चा हो रही है। सीएसआर खर्च में लगातार सुधार हो रहा है और अधिक से अधिक निजी कंपनियां दो प्रतिशत सीएसआर खर्च की सीमा को पार कर रही हैं।
सर्वे के अनुसार, ऊर्जा और बिजली क्षेत्रों ने सीएसआर पर सबसे अधिक 2,464.96 करोड़ रुपए की राशि खर्च की है। बीएफएसआई क्षेत्र ने 1,352.67 करोड़ रुपए, उपभोक्ता उत्पाद क्षेत्र ने 635.41 करोड़ रुपए, आईटी परामर्श एवं सॉफ्टवेयर क्षेत्र ने 1,100 करोड़ रुपए और खनन एवं धातु क्षेत्र ने 647.12 करोड़ रुपए सीएसआर गतिविधियों पर खर्च किए हैं। सीएसआर पर दो प्रतिशत से कम की राशि खर्च करने वाली कंपनियों की संख्या 37 प्रतिशत घट गई है। 2014-15 में ऐसी कंपनियों की संख्या 52 थी, जो 2017-18 में 33 पर आ गई।